राहुल गांधी के बारे में बीजेपी आईटी सेल लम्बे समय से झूठ का एक ऐसा मायाजाल बुनती आ रही है, जिससे राहुल के बारे में, सोशल मीडिया से लेकर अन्य मीडिया चैनलों, अखबारों तक में सर्वथा अप्रमाणित और गढ़ी हुई खबरें, प्रसारित की जाती रही हैं। यह सिलसिला अभी थमा नहीं है, लेकिन, Pratik Sinha की ऑल्ट न्यूज, Alt News जैसे कुछ अन्य फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट्स ने, जब उन दुष्प्रचारो और झूठ की पड़ताल सामने लानी शुरू की तो, झुठबोलवा गिरोह द्वारा फैलाई गई धुंध छंटनी शुरू हुई।
जब आईटी सेल का झूठ, जिसे बीजेपी के बड़े बड़े नेता, मंत्रीगण भी शेयर करते रहे, जब उनका पर्दाफाश होना शुरू हुआ तो, इन्ही बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों में से कुछ ने अपने वे ट्वीट जो उन्होंने बीजेपी आईटी सेल के ट्वीट के आधार पर ट्वीट किए थे, या रिट्वीट किए थे को डिलीट भी करना शुरू कर दिया। सच का पता उनमें से बहुतों को है पर वे उस सच को जानते हुए भी आईटी सेल के दुष्प्रचार के वाहक बनते रहते हैं।
ऐसा ही एक दुष्प्रचार है कि, साल 2001 में राहुल गांधी, अमेरिका के बॉस्टन हवाई अड्डे पर ड्रग के साथ पकड़े गए थे और उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के हस्तक्षेप के बाद छोड़ा गया था। इस घटना के समर्थन में,2001 की एक कथित अखबार की क्लिपिंग जिसका शीर्षक 'इंडियन पॉलिटिशियन अरेस्टेड' है, सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित की जाती है।
पर यह घटना हुई नहीं है। फासिस्ट गोइबेलिज्म की तर्ज पर इसे फैलाया गया और खूब प्रसारित किया गया। ऑल्ट न्यूज ने इसका फैक्ट चेक किया और यह प्रमाणित किया कि, उक्त अखबार की कटिंग झूठी है और यह सारा प्रोपेगेंडा, बीजेपी आईटी सेल के दिमाग की उपज था।
ऑल्ट न्यूज के अनुसार, उक्त क्लिपिंग के अनुसार, एक भारतीय राजनेता को बोस्टन हवाई अड्डे पर ड्रग्स रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 30 सितंबर, 2001 की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राजनेता एक पूर्व प्रधान मंत्री का बेटा था। इसमें निहित है कि गिरफ्तार राजनेता कांग्रेस नेता राहुल गांधी थे।
ट्विटर यूजर संजय फडणवीस ने इस क्लिपिंग को शेयर करते हुए 28 फरवरी, 2023 को लिखा “कौन है ये?”.
ट्विटर यूजर ध्रुवन पटेल ने एक पूरी पोस्ट लिखकर बताया कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दखल के बाद राहुल गांधी को रिहा किया गया। अखबार की यह क्लिपिंग ट्विटर पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रही है।
2019 से वायरल
2019 में आरबीआई के निदेशक एस गुरुमूर्ति ने अखबार की इस क्लिपिंग को ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा, 'कृपया इस खबर को पढ़ें। यह पूर्व प्रधानमंत्री का बेटा कौन है?” बाद में गुरुमूर्ति ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन इसका आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
जब कुछ यूजर्स ने बताया कि क्लिपिंग बनाई गई थी, तो गुरुमूर्ति ने इसे हटा लिया और ट्वीट किया कि क्लिपिंग को "डिलीट करना उचित" था क्योंकि कुछ यूजर्स ने रिपोर्ट की सत्यता पर संदेह व्यक्त किया था। हालांकि, उन्होंने ट्विटर पर इसे पोस्ट करने के एक घंटे के भीतर अपनी सफाई हटा दी।
फैक्ट चेक
गुरुमूर्ति द्वारा ट्वीट की गई कथित अखबार की क्लिपिंग वेबसाइट fodey.com पर बनाई गई थी, जो एक कहानी लिखने, इसे एक शीर्षक देने, अखबार का नाम देने और तारीख बदलने का विकल्प देती है।
ऑल्ट न्यूज़ के लिंक मे, दिए गए वीडियो में दिखाया गया है कि, वेबसाइट पर अखबार की कतरन कैसे तैयार की जा सकती है।
सोशल मीडिया पर पहले भी ऐसी बनावटी अखबारों की कतरनें प्रसारित की जा चुकी हैं। राहुल गांधी, अमित शाह, अरविंद केजरीवाल, सोनिया गांधी और योगी आदिथनाथ सहित अन्य लोगों को इसी तरह निशाना बनाया गया है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि क्लिपिंग में यह भी कहा गया है कि एएफपी के अनुसार, गांधी को भारतीय राजदूत के हस्तक्षेप के बाद रिहा किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ की तरह, AFP ने भी पिछले दिनों इस दावे की तथ्य-जांच की और निष्कर्ष निकाला। ऑल्ट न्यूज़ में पूजा चौधरी के फैक्ट चेक का लिंक प्रस्तुत है। उसे आप पढ़ सकते हैं।
Fake newspaper clipping of Rahul Gandhi arrested at Boston Airport in 2001 viral yet again -
https://www.altnews.in/rbi-director-gurumurthy-tweets-manufactured-newspaper-clipping-deletes-later/
(विजय शंकर सिंह)
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