Friday 10 April 2015

एक कविता , उसकी बातें उदास करती हैं !!! / विजय शंकर सिंह



अपनी तनहाइयों से पूछा है ,
शब् ए हिजराँ से बात कर ली है 

मेरे अंदर सहमी खामोशी भी ,
मेरा बाहर का हँसता चेहरा भी।  

रात के सनसनाते लम्हे भी ,
दिन का डसता हुआ उजाला भी ,

ज़ब्त का टूटा यह बंधन भी ,
सब्र का छूटा यह दामन भी ,

उस की यादें भी , कुछ इशारों में,
कर रहे मज़बूर मुझे , मिल के सब 

आओ चलते है अब पास उस के ,
कहें उस से , कुछ दवा कर दे ,

अपनी फितरत को छोड़ अब ,
कोई वादा तो पूरा कर दे ,

बातों से अब कुछ नहीं होगा ,
आख़िरी फैसला तो दिल का होगा ,

दिल कहता है , उस से मिलने से बेहतर ,
अच्छा तो है एकांत प्रिये !!

अब भा गया अकेलापन , मुझे  ,
उस से मिलने अब नहीं जाना ,
उसकी बातें उदास करती हैं !!! 
-vss

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