कुछ तारीफ कर रहे थे, कुछ सलाह दे रहे थे, कोई उनसे प्रेरित दिखाई दे रहा था तो कुछ मिलने के लिए वक्त मांग रहे थे... रविवार शाम राष्ट्रपति भवन में ऐसा था केजरीवाल का 'ग्लैमर'। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यूं तो राष्ट्रपति भवन में गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में 4,500 गेस्ट में से एक बनकर गए थे, लेकिन अपने इस पहले अनुभव में ही वह सभी के आकर्षण का केंद्र बन गए।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ओर से दिए जाने वाले भोज में मरून स्वेटर और गले में मफलर लपेटे पहुंचे दिल्ली के सीएम आकर्षण के केंद्र में रहे। भोज राष्ट्रपति भवन के विस्तृत प्रांगण में दिया गया। राष्ट्रपति मुखर्जी द्वारा अतिथियों, खास लोगों, नौकरशाहों और राजदूतों को बधाई देने के बाद लोगों ने महसूस किया कि दिल्ली के नए मुख्यमंत्री उनके बीच मौजूद हैं। यह मालूम होने पर तुरंत ही भीड़ ने उन्हें घेर लिया।
मुख्यमंत्री से परिचय के लिए लोग एक-दूसरे से धक्का-मुक्की करते देखे गए। खबरों में छाए रहने वाले पूर्व नौकरशाह केजरीवाल से बात करने के लिए कुछ विदेशी गणमान्य भी लपके। केजरीवाल ने पूछे गए सवालों के जवाब धैर्यपूर्वक दिए। हाल के धरने के पीछे उनकी मंशा क्या थी, यह बताया और आम आदमी पार्टी (आप) को चौतरफा आलोचना के केंद्र में लाने वाले सोमनाथ भारती के हाल के विवादास्पद कार्रवाई और उनकी बयानबाजी का बचाव भी किया।
यह एक ऐसा क्षण था जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। दो साल पहले, केजरीवाल प्रणव के साथ समझौते की मेज पर थे। प्रणव उस वक्त लोकपाल बिल पर बनी जॉइंट ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन थे। उस बैठक से केजरीवाल को अंत में खाली हाथ लौटना पड़ा था लेकिन शनिवार को दोनों ने विचारों में सार्वजनिक तौर पर अंतर को दिखाया। प्रणव 'जनवादी अराजकता' के खिलाफ बोले और केजरीवाल ने अपने धरने को लोकतांत्रिक बताते हुए सफाई दी।
रविवार को राष्ट्रपति भवन में कूटनीति, राजनीति, प्रशासन, कला और मीडिया से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया गया तब भी पूरे कार्यक्रम में केजरीवाल एक अलग ही माहौल का हिस्सा बनते दिखाई दिए। जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेनर केजरीवाल से मुलाकात का कार्यक्रम तय करना चाहते थे। ऐसा अगले महीने जर्मनी के प्रधानमंत्री के होने वाले भारतीय दौरे के लिए था। केजरीवाल ने कार्यक्रम को दोबारा तय करने का आश्वासन भी दिया।
एक अन्य राजनयिक ने केजरीवाल के साथ हल्के-फुल्के चुटकुलों का आनंद लिया। राजनयिक ने कहा कि उनकी टूटी-फूटी हिंदी ने पार्टी के नाम को लेकर उनके सामने दुविधा खड़ी कर दी थी (क्योंकि वह 'आम' का अंग्रेजी अर्थ मैंगो से ही समझते थे)।
सीएम को गिफ्ट के तौर पर एक मफलर भी दिया गया। केजरीवाल पर सवालों की बौछार भी हुई। गणतंत्र दिवस की परेड में वीआईपी एरिया में बैठने पर भी और पार्टी के नाम में 'आम औरत' न होने पर भी। हालत यह रही कि एक दल हटता था तो दूसरा उनके पास जमा हो जाता था। यहां तक कि अधिकांश अतिथि जब जा चुके थे तब भी केजरीवाल भीड़ में घिरे रहे।
कार्यक्रम के बाकी अतिथियों में उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, बीजेपी नेता सुषमा स्वराज, लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, कैबिनेट मंत्री पी. चिदंबरम, वीरप्पा मोइली, एके एंटनी थे।
सूत्रों के मुताबिक तकरीबन 4,500 लोग कार्यक्रम में पहुंचे थे। राष्ट्रपति भवन ने इस साल कार्यक्रम के लिए ई-निमंत्रण पत्र जारी किए थे जिसमें बार-कोड स्कैनिंग से एंट्री थी। लगभग 60 फीसदी अतिथियों को ई-मेल से निमंत्रण भेजा गया था। ऐसा खर्च को कम करने के लिए किया गया।
( Hindustan)
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