Tuesday, 2 May 2017

पेट्रोल पम्पों पर डिजिटल टेनीमारी यानी ई घटतौली / विजय शंकर सिंह

पेट्रोल पम्प वाले आज हड़ताल पर हैं ।कारण ? कारण यह है कि उनके इलेक्ट्रॉनिक फिलिंग सिस्टम में एक ऐसी चिप लगी है जिस से पेट्रोल जितना दीखता है उतना हमारी कार , बस बाइक इत्यादि में नहीं आता है । हम समझते हैं कि हमारी गाड़ी को जो ऐवरेज देना चाहिए नहीं दे रही है , कभी हम गाड़ी के ऐवरेज देने के वायदे पर शक करते हैं तो कभी गाड़ी के पुर्ज़ों को कोसते हैं तो कभी अपने ड्राइवर को ही हड़का देते हैं । पर बिलकुल पूंजीवाद के चरित्र की तरह दूर बैठा हुआ असल चोर तो मस्त है और तोहमतें झेल रहे हैं कभी गाड़ी के पुर्ज़े, और तयशुदा न्यूनतम मज़दूरी से भी कम वेतन पाने वाला ड्रायवर या कभी कोई और ।

किस्सा कोताह यह है कि लखनऊ में कुछ पेट्रोल पम्पों की जांच की गयी तो यह पाया गया कि घटतौली हो रही है । जब कम्प्यूटर सामने आया था तो यह हवा फैली थी कि यह झूठ नहीं बोलेगा और चूँकि इसकी भाषा व्याकरण विहीन अंक आधारित होती है तो यह अलंकार , भाषा चातुर्य आदि से परहेज़ करेगा । पर बाद में पता लगा कि यह भी मायावी ही है । कुछ का कुछ कह देगा और कुछ का कुछ पढ़ लेगा । बाकायदा हैकरों की पेशेवर टीम तैयार हो गयी । कभी खातों में फ्राड तो फ़र्ज़ी डिग्रियां तो कहीं लोगों की निजी सूचनाओं में सेंध लगने लगी । जैसे जैसे अपराध के  आयाम खुलते और बदलते गए वैसे वैसे उस से निपटने के तरीके भी ईजाद होते गए । महाजनो येन गतः स पन्थाः !

पेट्रोल फिलिंग में घटतौली की शिकायत एक पेट्रोल पम्प पर मिली और जब उसी आधार पर अन्य कुछ पेट्रोल पम्पों की जांच हुयी तो सारी कलई उतरने लगी । पेट्रोल पंप पर पेट्रोल डालने वाला कर्मचारी का मासूम चेहरा भी याद आया कि वह कैसे आगाह करते हुए मीटर को दिखा कर कहता है कि देख लीजिये ज़ीरो पर है मीटर । और मैं इत्मीनान से ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ, बिना मीटर देखे ही दूरदृष्टि से देख कर कह देता हूँ हाँ कोई बात नहीं । टंकी फुल कर दो । पता नहीं उस मासूम कर्मचारी को उस ज़ालिम चिप की घटतौली अदा मालूम है या नहीं , पर खेल तो हो ही रहा है । जब जांच का दायरा बढ़ा और एसटीएफ लगी तो पता लगा कि लखनऊ में तो यह घटतौली कई सौ करोड़ रूपये की है । फिर तो अन्य शहरों  भी निगाह गयी । बाँट माप नियंत्रण का महकमा भी सक्रिय हुआ । कल ही एक मित्र ने खबर दी कि जौनपुर में भी ऐसी ही इलेक्ट्रॉनिक टेनीमारी हुयी है । अब तो लगता है कि शायद ही कोई शहर ऐसा हो जो इस इलेक्ट्रॉनिक टेनिमारी के संक्रमण से बचा हो । अब कानून तो अपना काम करेगा ही । वैसे भी अपने यहां कानून कोई टेंशन नहीं पालता है,   वह अधिकार मद में चूर अपनी ही राह चलता रहता है । उसे राह दिखाने के लिए दमनक और कर्कटक की कमी नहीं है ।

आप ने हमारी चोरी क्यों पकड़ी ? बिना बताये क्यों जांच की ? पैसा नहीं मिला तो छापा मारने चले आये । क्या हम ही अकेले केशव लाल है ? कौन सा विभाग दूध का धुला है ? कभी जीटी रोड पर वसूली करते हुए वर्दीधारियों को नहीं देखा है ? आदि आदि बातें कही जाएंगी । गोया अगर सब चोर हैं तो ' कारण कवन नाथ मोहिं मारा ' का सनाटन तर्क चला दिया जाय । कई सालों पहले सीबीआई ने इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एअरपोर्ट दिल्ली पर नियुक्त कस्टम्स विभाग में छापा डाला था । बहुत कुछ कैश और अन्य कागज़ात भी मिले थे । 20 अधिकारी गिरफ्तार हुए थे । बड़ा हंगामा मचा था । दूसरे दिन वहाँ कस्टम वालों ने हड़ताल कर दी । हड़ताल का कारण सीबीआई का छापा था । शाम तक जब वित्त मंत्रालय ने सख्त रुख अपनाया और जो पकड़े गए थे उनको निलम्बित कर उनके खिलाफ कार्यवाही करने की बात की तो जा कर यह हड़ताल खत्म हुयी और फिर वहाँ से दोषी और लम्बे समय तक जमे लोग हटाये गए तो इस छापेमारी का असर पड़ा । यह भी एक अज़ीब मामला रहा कि, वह हड़ताल अपने संवैधानिक नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के अधिकार के लिये की गयी थी ।

आज 2 मई को लखनऊ के पेट्रोल पम्प भी हड़ताल पर है । इनकी यूनियन ने पम्पों के मीटर की जांच को हड़ताल का मुद्दा बनाया है । जांच को सीधे मुद्दा बनाने में यूनियन को दिक्कत आ सकती है इस लिये उन्होंने इसे नाम दे दिया उत्पीड़न । व्यापार मंडल अक्सर उत्पीड़न को ही मुद्दा बनाता रहता है । पेट्रोल डीलर यूनियन ने उन पेट्रोल पम्प मालिकों को कोई चेतावनी क्यों नहीं जारी की जिनके पम्प इस घटतौली घोटाले में दोषी पाये गए । यह मसला अकेले लखनऊ का ही नहीं है , यह हो सकता हो पूरे उत्तर प्रदेश का हो और इसका प्रसार पूरे भारत में भी हो सकता है । यह न केवल उपभोक्ता हितों के विरुद्ध है बल्कि आईपीसी के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध भी है । जनता , और संचार माध्यमों को चाहिए कि वह इस घटतौली का विरोध करें और सरकार तथा जांच एजेंसियों द्वारा किये जा रहे इस घोटाले के अनावरण के प्रयासों को सफल बनाने में योगदान दें । चोरी और घोटाले के प्रति इस एकजुटता और हड़ताल को बस यही कहा जा सकता है कि, चोरी भी और सीनाज़ोरी भी ।

( विजय शंकर सिंह )

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