ज़रा तुम ....
आँखों में आ जाओ ,
मुझे कुछ देर
सोना है ...
मुझे ख़्वाबों में
खोना है
मुझे खुद को पाना है .
नींदे भी ले गए तुम ,
अब ख़्वाबों से भी ,
कतराते
हो .
कहाँ ढूंढूं तुम्हे ,
तुम इतना क्यों ,
सताते हो !
कभी तो आ जाते हो ,
आसमान में घटा बन कर .
और कभी ,
जीवन मरू सा बना ,
देते हो .
आजमाते
हो मुझे तुम क्यों ?
कहीं खुद को भी ,
आजमाते
हैं .
कहीं खुद को भी यूँ ,
भरमाते
हैं !
बिना तुम्हारे ,
ये सिलसिले कैसे .
ये बादल , ये हवाएं ,
ये सपने ,जो बे रंग हैं ,
तेरे एहसास के बिना ,
ये दुनिया जो लगती है ,
अंधेरी
, तेरे बिना .
तुझ से ही तो रोशन है ,
ये सारा जहां ,
मौजूद है हर ज़र्रे में ,
तेरा ही अफ़साना .
ज़रा तुम ,
आँखों में आ जाओ ,
मुझे कुछ देर सोना है !!
-vss
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