जब भी घेर लेता है
अन्धेरा मुझे ,
सारे पट बंद , और
खिड़कियाँ खो जाती हैं ,
चुप
चाप
आँखे
बंद
कर
मैं
,
तुम
पर
खुद
को
छोड़
देता
हूँ
.
मेरे
अन्दर
से,
एक
किरण
प्रकाश की प्रकट
होती
है
,
सहस्र
सूर्य
जैसे
चमक
पडें
हों
क्षितिज
पर
,
मेरा
अंतस
धवल
और
आलोकित
हो
जाता
है
.
व्यर्थ
ढूंढता
हूँ
तुम्हे
संसार
में
,
तुम
तो
अन्दर
ही
हो
मेरे
, मित्र
,
मेरी
जिजीविशा
बन
कर
.
-vss
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