Tuesday, 6 October 2015

परसाई की एक गोभक्त से भेंट / हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई एक प्रख्यात व्यंग्यकार रहे हैं। साठ  दशक में भी गो रक्षा हेतु एक व्यापक आंदोलन चला था। उसका नेतृत्व स्वामी करपात्री जी के राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के बैनर तले किया गया था। तब की स्थिति भी आज की ही तरह हो गयी थी। पर इतनी उत्तेजक नहीं थी। उसी समय की स्थिति पर परसाई जी का यह व्यंग्य पढ़ें , आनंद आएगा।
-vss



एक शाम रेलवे स्टेशन पर एक स्वामीजी के दर्शन हो गएऊँचेगोरे और तगड़े साधु थेचेहरा लालगेरुए रेशमी कपड़े पहने थेपाँवों में खड़ाऊँहाथ में सुनहरी मूठ की छड़ीसाथ एक छोटे साइज़ का किशोर संन्यासी थाउसके हाथ में ट्रांजिस्टर था और वह गुरु को रफ़ी के गाने के सुनवा रहा था.

मैंने पूछास्वामी जीकहाँ जाना हो रहा है?
स्वामीजी बोले दिल्ली जा रहे हैंबच्चा!
मैने कहास्वामीजीमेरी काफ़ी उम्र हैआप मुझे 'बच्चाक्यों कहते हैं?

स्वामीजी हँसेबोले - बच्चातुम संसारी लोग होस्टल में साठ साल के बूढ़े बैरे को 'छोकराकहते हो उसी तरह हम तुम संसारियों को बच्चा कहते हैंयह विश्व एक विशाल भोजनालय है जिसमें हम खाने वाले हैं और तुम परोसने वाले होइसीलिए हम तुम्हें बच्चा कहते हैंबुरा मत मानोसंबोधन मात्र है.

स्वामीजी बात से दिलचस्प लगेमैं उनके पास बैठ गयावे भी बेंच पर पालथी मारकर बैठ गएसेवक को गाना बंद करने के लिए कहा.

कहने लगेबच्चाधर्मयुद्ध छिड़ गयागोरक्षा-आंदोलन तीव्र हो गया हैदिल्ली में संसद के सामने सत्याग्रह करेंगे.

मैंने कहास्वामीजीयह आंदोलन किस हेतु चलाया जा रहा है?

स्वामीजी ने कहातुम अज्ञानी मालूम होते होबच्चाअरे गौ की रक्षा करना हैगौ हमारी माता हैउसका वध हो रहा है.

मैंने पूछावध कौन कर रहा है?

वे बोलेविधर्मी कसाई.

मैंने कहाउन्हें वध के लिए गौ कौन बेचते हैंवे आपके सधर्मी गोभक्त ही हैं ?

स्वामीजी ने कहासो तो हैंपर वे क्या करेंएक तो गाय व्यर्थ खाती हैदूसरे बेचने से पैसे मिल जाते हैं.
मैंने कहायानी पैसे के लिए माता का जो वध करा देवही सच्चा गो-पूजक हुआ!

स्वामीजी मेरी तरफ़ देखने लगेबोलेतर्क तो अच्छा कर लेते होबच्चापर यह तर्क की नहींभावना की बात हैइस समय जो हज़ारों गोभक्त आंदोलन कर रहे हैंउनमें शायद ही कोई गौ पालता होपर आंदोलन कर रहे हैंयह भावना की बात है.

स्वामीजी से बातचीत का रास्ता खुल चुका थाउनसे जमकर बातें हुईंजिसमें तत्व मंथन हुआजो तत्व प्रेमी हैंउनके लाभार्थ वार्तालाप नीचे दे रहा हूँ.

स्वामीजी और बच्चा की बातचीत

स्वामीजीआप तो गाय का दूध ही पीते होंगे?

नहीं बच्चाहम भैंस के दूध का सेवन करते हैंगाय कम दूध देती है और वह पतला होता हैभैंस के दूध की बढ़िया गाढ़ी मलाई और रबड़ी बनती है.

तो क्या सभी गोभक्त भैंस का दूध पीते हैं?

हाँबच्चालगभग सभी.

तब तो भैंस की रक्षा हेतु आंदोलन करना चाहिएभैंस का दूध पीते हैंमगर माता गौ को कहते हैंजिसका दूध पिया जाता हैवही तो माता कहलाएगी.

यानी भैंस को हम माता....नहीं बच्चातर्क ठीक हैपर भावना दूसरी है.

स्वामीजीहर चुनाव के पहले गोभक्ति क्यों ज़ोर पकड़ती हैइस मौसम में कोई ख़ास बात है क्या

बच्चाजब चुनाव आता हैतम हमारे नेताओं को गोमाता सपने में दर्शन देती है
कहती हैबेटा चुनाव रहा हैअब मेरी रक्षा का आंदोलन करोदेश की जनता अभी मूर्ख हैमेरी रक्षा का आंदोलन करके वोट ले लो.बच्चाकुछ राजनीतिक दलों को गोमाता वोट दिलाती हैजैसे एक दल को बैल वोट दिलाते हैंतो ये नेता एकदम आंदोलन छेड़ देते हैं और हम साधुओं को उसमें शामिल कर लेते हैंहमें भी राजनीति में मज़ा आता है.बच्चा

तुम हमसे ही पूछ रहे होतुम तो कुछ बताओतुम कहाँ जा रहे हो?

स्वामीजी मैं 'मनुष्य-रक्षा आंदोलनमें जा रहा हूँ.

यह क्या होता हैबच्चा?

स्वामीजीजैसे गाय के बारे में मैं अज्ञानी हूँवैसे ही मनुष्य के बारे में आप हैं.
पर मनुष्य को कौन मार रहा है?

इस देश के मनुष्य को सूखा मार रहा हैअकाल मार रहा हैमहँगाई मार रही हैमनुष्य को मुनाफ़ाखोर मार रहा हैकाला-बाज़ारी मार रहा हैभ्रष्ट शासन-तंत्र मार रहा हैसरकार भी पुलिस की गोली से चाहे जहाँ मनुष्य को मार रही हैबिहार के लोग भूखे मर रहे हैं.

बिहारबिहार शहर कहाँ है बच्चा?
बिहार एक प्रदेश हैराज्य है.

अपने जम्बूद्वीप में है ?

स्वामीजीइसी देश में हैभारत में.
यानी आर्यावर्त में?

जी हाँऐसा ही समझ लीजिएस्वामीजीआप भी मनुष्य-रक्षा आंदोलन में शामिल हो जाइए !

नहीं बच्चाहम धर्मात्मा आदमी हैंहमसे यह नहीं होगाएक तो मनुष्य हमारी दृष्टि में बहुत तुच्छ हैवे लोग ही तो हैंजो कहते हैंमंदिरों और मठों में लगी जायदाद को सरकार ले लोबच्चातुम मनुष्य को मरने दोगौ की रक्षा करोकोई भी जीवधारी मनुष्य से श्रेष्ठ हैतुम देख नहीं रहे होगोरक्षा के जुलूस में जब झगड़ा होता हैतब मनुष्य ही मारे जाते हैंएक बात और हैबच्चातुम्हारी बात से प्रतीत होता है कि मनुष्य-रक्षा के लिए मुनाफ़ाख़ोर और काला-बाज़ारी से बुराई लेनी पड़ेगीयह हमसे नहीं होगायही लोग तो गोरक्षा-आंदोलन के लिए धन देते हैंहमारा मुँह धर्म ने बंद कर दिया है.

ख़ैरछोड़िए मनुष्य कोगोरक्षा के बारे में मेरी ज्ञान-वृद्धि कीजिएएक बात बताइएमान लीजिए आपके बरामदे में गेहूँ सूख रहे हैंतभी एक गोमाता आकर गेहूँ खाने लगती हैआप क्या करेंगे?

बच्चाहम उसे डंडा मारकर भगा देंगे.

पर स्वामीजीवह गोमाता है पूज्य हैबेटे के गेहूँ खाने आई हैआप हाथ जोड़कर स्वागत क्यों नहीं करते कि 

मातामैं कृतार्थ हो गयासब गेहूँ खा जा.

बच्चातुम हमें मूर्ख समझते हो?

नहींमैं आपको गोभक्त समझता था.

सो तो हम हैंपर इतने मूर्ख भी नहीं हैं कि गाय को गेहूँ खा जाने दें.

पर स्वामीजीयह कैसी पूजा है कि गाय हड्डी का ढाँचा लिए हुए मुहल्ले में काग़ज़ और कपड़े खाती फिरती है और जगह जगह पिटती है!

बच्चायह कोई अचरजकी बात नहीं हैहमारे यहाँ जिसकी पूजा की जाती है उसकी दुर्दशा कर डालते हैंयही सच्ची पूजा हैनारी को भी हमने पूज्य माना और उसकी जैसी दुर्दशा की सो तुम जानते ही हो.

स्वामीजीदूसरे देशों में लोग गाय की पूजा नहीं करतेपर उसे अच्छी तरह रखते हैं और अब वह खूब देती है.
बच्चादूसरे देशों की बात छोड़ोहम उनसे बहुत ऊँचे हैंदेवता इसीलिए सिर्फ़ हमारे यहाँ अवतार लेते हैं.दूसरे देशों में गाय दूध के उपयोग के लिए होती हैहमारे यहाँ वह दंगा करनेआंदोलन करने के लिए होती है.हमारी गाय और गायों से भिन्न है.

स्वामीजीऔर सब समस्याएँ छोड़कर आप लोग इसी एक काम में क्यों लग गए हैं?

इसी से सब हो जाएगाबच्चाअगर गोरक्षा का क़ानून बन जाएतो यह देश अपने-आप समृद्ध हो जाएगा.फिर बादल समय पर पानी बरसाएँगेभूमि ख़ूब अन्न देगी और कारखाने बिना चले भी उत्पादन करेंगेधर्म का प्रताप 
तुम नहीं जानतेअभी जो देश की दुर्दशा हैवह गौ के अनादर का परिणाम है

स्वामीजीपश्चिम के देश गौ की पूजा नहीं करतेफिर भी समृद्ध हैं?

उनका भगवान दूसरा है बच्चाउनका भगवान इस बात का ख़्याल नहीं करता.

और रूस जैसे समाजवादी दश भी गाय को नहीं पूजतेपर समृद्ध हैं?

उनका तो भगवान ही नहीं बच्चाउन्हें दोष नहीं लगता.

यानी भगवान रखना भी एक झंझट ही हैवह हर बात का दंड देने लगता है.
तर्क ठीक हैबच्चापर भावना ग़लत है.

स्वामीजीजहाँ तक मैं जानता हूँजनता के मन में इस समय गोरक्षा नहीं हैमहँगाई और आर्थिक शोषण है.जनता महँगाई के ख़िलाफ़ आंदोलन करती हैवह वेतन और महँगाई-भत्ता बढ़वाने के लिए हड़ताल करती है.जनता आर्थिक न्याय के लिए लड़ रही हैऔर इधर आप गोरक्षा-आंदोलन लेकर बैठ गए हैंइसमें तुक क्या है?

बच्चाइसमें तुक हैदेखोजनता जब आर्थिक न्याय की माँग करती हैतब उसे किसी दूसरी चीज़ में उलझा देना चाहिएनहीं तो वह ख़तरनाक हो जाती हैजनता कहती है - हमारी माँग है महँगाई बंद होमुनाफ़ाख़ोरी बंद होवेतन बढ़ेशोषण बंद होतब हम उससे कहते हैं कि नहींतुम्हारी बुनियादी माँग गोरक्षा हैबच्चा,आर्थिक क्रांति की तरफ़ बढ़ती जनता को हम रास्ते में ही गाय के खूँटे से बाँध देते हैंयह आंदोलन जनता को उलझाए रखने के लिए है.

स्वामीजीकिसकी तरफ़ से आप जनता को इस तरह उलझाए रखते हैं?
जनता की माँग का जिनपर असर पड़ेगाउसकी तरफ़ सेयही धर्म हैएक दृष्टांत देते हैंएक दिन हज़ारों भूखे लोग व्यवसायी के गोदाम में भरे अन्न को लूटने के लिए निकल पड़ेव्यवसायी हमारे पास आयाकहने लगास्वामीजीकुछ करिएये लोग तो मेरी सारी जमा-पूँजी लूट लेंगेआप ही बचा सकते हैंआप जो कहेंगे,सेवा करेंगेबस बच्चाहम उठेहाथ में एक हड्डी ली और मंदिर के चबूतरे पर खड़े हो गएजब वे हज़ारों भूखे गोदाम लूटने का नारा लगाते आएतो मैंने उन्हें हड्डी दिखायी और ज़ोर से कहाकिसी ने भगवान के मंदिर को भ्रष्ट कर दियावह हड्डी किसी पापी ने मंदिर में डाल दीविधर्मी हमारे मंदिर को अपवित्र करते हैं., हमारे धर्म को नष्ट करते हैंहमें शर्म आऩी चाहिएमैं इसी क्षण से यहाँ उपवास करता हूँमेरा उपवास तभी टूटेगा,जब मंदिर की फिर से पुताई होगी और हवन करके उसे पुनः पवित्र किया जाएगाबस बच्चावह जनता आपस में ही लड़ने लगीमैंने उनका नारा बदल दियाजव वे लड़ चुकेतब मैंने कहाधन्य है इस देश की धर्म-प्राण जनताधन्य है अनाज के व्यापारी सेठ अमुकजीउन्होंने मंदिर की शुद्धि का सारा ख़र्च देने को कहा हैबच्चा जिसका गोदाम लूटने वे भूखे जा रहे थेउसकी जय बोलने लगेबच्चायह है धर्म का प्रतापअगर इस जनता को गोरक्षा-आंदोलन में लगाएँगे यह बैंकों के राष्ट्रीयकरण का आंदोलन करेगीतनख़्वाह बढ़वाने का आंदोलन करेगीमुनाफ़ाख़ोरी के ख़िलाफ़ आंदोलन करेगाउसे बीच में उलझाए रखना धर्म है,बच्चा.

स्वामीजीआपने मेरी बहुत ज्ञान-वृद्धि कीएक बात और बताइएकई राज्यों में गोरक्षा के लिए क़ानून है.बाक़ी में लागू हो जाएगातब यह आंदोलन भी समाप्त हो जाएगाआगे आप किस बात पर आंदोलन करेंगे.

अरे बच्चाआंदोलन के लिए बहुत विषय हैंसिंह दुर्गा का वाहन हैउसे सरकसवाले पिंजरे में बंद करके रखते हैं और उससे खेल कराते हैंयह अधर्म हैसब सरकसवालों के ख़िलाफ़ आंदोलन करकेदेश के सारे सरकस बंद करवा देंगेफिर भगवान का एक अवतार मत्स्यावतार भी हैमछली भगवान का प्रतीक हैहम मछुओं के ख़िलाफ़ आंदोलन छेड़ देंगेसरकार का मछली पालन विभाग बंद करवाएँगे.

स्वामीजीउल्लू लक्ष्मी का वाहन हैउसके लिए भी तो कुछ करना चाहिए.

यह सब उसी के लिए तो कर रहे हैंबच्चाइस देश में उल्लू को कोई कष्ट नहीं हैवह मज़े में है

इतने में गाड़ी गईस्वामीजी उसमें पैठकर चले गएबच्चावहीं रह गया.

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