सरदार पटेल और नेहरू में अक्सर मतभेद की बातें की जाती हैं . इधर कुछ समय से यह प्रचार फैलाया जा रहा है कि सरदार और नेहरू में बहुत गहरे मतभेद थे . लोकतंत्र में मतभेद न हों तो समझिये लोकतंत्र है ही नहीं . मतभेदों का होना और फिर बहुमत से किसी प्रकरण का निर्णय करना सच्छा लोकतंत्र है . राज मोहन गांधी ने पटेल पर एक बहुचर्चित पुस्तक लिखी है . उन्होंने इन मतभेदों के कारण और स्वरुप पर बाहर विशद अध्ययन किया है . हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित यह आलेख पढ़ें . इस से उन महान त्रिमूर्ति , गांधी , नेहरू और पटेल में क्या था स्पष्ट हो जाएगा .
Sardar Patel, truth and hype about a leader - Hindustan Times
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