अमेरिका में 9/11 में एक ज़बरदस्त आतंकवादी घटना हुयी थी . अमेरिका ही नहीं दुनिया के सारे देश इस घटना और तालिबान के दुस्साहस से दहल गए थे . लेकिन अमेरिका ने इस का बदला लिया , और उस हमले के सूत्रधार ओसामा बिन लादेन को उस की मांद में घुस कर मार दिया . साथ ही अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ इच्छा शक्ति का भी परिचय दिया और आज तक वहाँ आतंकवाद की कोई घटना नहीं घटी .
आतंकवाद से हम बहुत लम्बे समय से पीड़ित रहे हैं . और अभी भी हर साल कोई न कोई गंभीर घटना घट ही जाती है . पर राजनितिक इच्छा शक्ति का अभाव , देश के हित के ऊपर दलगत हित के कारण कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं हो पा रही है . अफज़ल गुरु की फांसी के सवाल पर जैसा तमाशा कुछ राजनितिक दलों और कुछ मानवाधिकार वादियों ने किया वह पूर्ण निंदनीय है . सब कहते हैं आतंकवाद का कोई रंग , धर्म और जाति नहीं होती है , लेकिन यह जुमला कुछ लोगों के दिलों में उतर नहीं पा रहा है . सिर्फ एक वक्तब्य बन कर रह गया है . .
हर आतंकवादी घटना देश पर , इस की अस्मिता पर , और हमारे सार्वभौमिकता पर हमला है . और जो दोषी हैं वे हमलावर . वे सामन्य अपराधी नहीं हैं और उन्हें इस नज़र से देखा भी नहीं जाना चाहिए . अमेरिका ने जैसे उपाय किये वैसे यहाँ भी किये जा सकते हैं . लेकिन हमें आतंकवाद को देश का प्रथम शत्रु मानते हुए इस का सामना करना होगा .और अपना लक्ष्य स्पष्ट करना होगा .
द हिन्दू में प्रकाशित यह लेख पढ़ें ..और जाने कि अमेरिका ने आतंकवाद को कैसे कोई त्रासदी दुहराने नहीं दिया .
अमेरिका में 9/11 में एक ज़बरदस्त आतंकवादी घटना हुयी थी . अमेरिका ही नहीं दुनिया के सारे देश इस घटना और तालिबान के दुस्साहस से दहल गए थे . लेकिन अमेरिका ने इस का बदला लिया , और उस हमले के सूत्रधार ओसामा बिन लादेन को उस की मांद में घुस कर मार दिया . साथ ही अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ इच्छा शक्ति का भी परिचय दिया और आज तक वहाँ आतंकवाद की कोई घटना नहीं घटी .
ReplyDeleteआतंकवाद से हम बहुत लम्बे समय से पीड़ित रहे हैं . और अभी भी हर साल कोई न कोई गंभीर घटना घट ही जाती है . पर राजनितिक इच्छा शक्ति का अभाव , देश के हित के ऊपर दलगत हित के कारण कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं हो पा रही है . अफज़ल गुरु की फांसी के सवाल पर जैसा तमाशा कुछ राजनितिक दलों और कुछ मानवाधिकार वादियों ने किया वह पूर्ण निंदनीय है . सब कहते हैं आतंकवाद का कोई रंग , धर्म और जाति नहीं होती है , लेकिन यह जुमला कुछ लोगों के दिलों में उतर नहीं पा रहा है . सिर्फ एक वक्तब्य बन कर रह गया है . .
हर आतंकवादी घटना देश पर , इस की अस्मिता पर , और हमारे सार्वभौमिकता पर हमला है . और जो दोषी हैं वे हमलावर . वे सामन्य अपराधी नहीं हैं और उन्हें इस नज़र से देखा भी नहीं जाना चाहिए . अमेरिका ने जैसे उपाय किये वैसे यहाँ भी किये जा सकते हैं . लेकिन हमें आतंकवाद को देश का प्रथम शत्रु मानते हुए इस का सामना करना होगा .और अपना लक्ष्य स्पष्ट करना होगा .
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