दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने फरवरी, 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हुए दिल्ली दंगों की जांच की निगरानी के लिए एक विशेष जांच प्रकोष्ठ (एसआईसी) का गठन करने का आदेश जारी किया है। यह आदेश अस्थाना ने 19 सितंबर 2021 को जारी किया गया है।
"जांच में तेजी लाने और उसे सुव्यवस्थित ढंग से सम्पन्न करने के लिए, उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामलों की उचित तरह से जांच और अदालत में 'पैरवी' सुनिश्चित करने के अतिरिक्त, उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले में दर्ज और जांच किये जा रहे मुकदमो की विवेचना हेतु, एक विशेष जांच प्रकोष्ठ (एसआईसी) का गठन किया गया है।"
इस आदेश में एसआईसी के मुखिया, विशेष पुलिस आयुक्त होंगे। इसके अलावा, विशेष जांच प्रकोष्ठ में पूर्वी रेंज के लिए एक संयुक्त सीपी, उत्तर-पूर्व के लिए एक डीसीपी और उत्तर-पूर्व के लिए एक अतिरिक्त डीसीपी-I भी शामिल रहेंगे।
आदेश में निम्न कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है।
1. समिति उत्तर-पूर्वी जिले में जांच किए जा रहे सभी लंबित जांच/लंबित ट्रायल दंगा मामलों का जायजा लेगी और दंगों के मामलों की त्वरित जांच और प्रभावी अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए तुरंत एक समयबद्ध रणनीति तैयार करेगी। जांच के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी साक्ष्य पर जोर दिया जाना चाहिए।
2. लंबित तफटीशों के सभी मामलों की ठीक से जांच की जाएगी और सभी संभावित सबूत जोड़कर जांच को अधिक प्रभावी और समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए उपयुक्त रूप से निर्देशित किया जाएगा।
3. समिति सभी पूरक आरोपपत्रों को न्यायालय में शीघ्रता से दाखिल करना सुनिश्चित करेगी।
4. सभी मामलों में, जहां फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के परिणाम लंबित हैं, एफएसएल परिणामों में तेजी लाने के अनुरोध के साथ निदेशक एफएसएल के साथ व्यक्तिगत सम्पर्क कर के कार्रवाई की जाएगी। एफएसएल परिणाम प्राप्त करने के लिए, इन मामले को प्राथमिकता के आधार पर संबंधित एफएसएल डिवीजनों के साथ बातचीत किया जाएगा।
5. प्रत्येक तारीख पर अभियोजन पक्ष के मामले का प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व करने के लिए, सभी मामलों में अदालत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए यह अधिकारी व्यक्तिगत रूप से विशेष लोक अभियोजकों (एसपीपी) के साथ संपर्क में रहेंगे। सुनवाई की प्रत्येक तारीख से पहले उन्हें पहले से ही पूरी तरह से सभी मामलो में ब्रीफ कर दिया जाएगा।
6. मामले में विशेष लोक अभियोजक, यदि किन्ही, अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण अदालत में उपस्थित होने में असमर्थ है, तो अदालत को यह बात पहले से बता दी जाएगी। ताकि अदालत को कोई असुविधा न हो और न्यायालय से आवश्यकतानुसार उपयुक्त स्थगन लिया जा सके। ऐसे मामलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अदालत में तथ्यों को प्रभावी ढंग से पेश करने के लिए अदालत में मौजूद रहेंगे।
7. टीम यह सुनिश्चित करेगी कि सभी गवाह और जांच अधिकारी समय पर अदालत में पेश हों। उन्हें ठीक से अपने मामले की जानकारी हो और वे अच्छी तरह से अदालत में अपना पक्ष रखने के लिये तैयार रहें। यदि किसी मामले में, आईओ अदालत में उपस्थित होने में असमर्थ है, तो, एसआईसी स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को निर्देश देगा कि या तो मामले में स्वयं उपस्थित हों या अदालत की सहायता के लिए मामले के तथ्यों से अच्छी तरह से परिचित एक जिम्मेदार अधिकारी को नियुक्त करें।
8. पुलिस मुख्यालय ने 14 पुलिस अधिकारियों को इस टीम के साथ संबद्ध किया है, जो पहले से ही दंगों के दौरान उत्तर-पूर्वी जिले में नियुक्त रह चुके हैं, और इन मामलों की जांच में अपना योगदान दे चुके हैं, ताकि लंबित तफ़्तीशों के मामलों की, शेष जांच को पूरा किया जा सके। निगरानी प्रकोष्ठ यह सुनिश्चित करेगा कि इन सभी अधिकारियों को वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए उचित रूप से कार्य और निगरानी की जा रही है या नहीं।
9. केजी त्यागी, एसीपी (सेवानिवृत्त) को अदालती मामलों में दंगा मामलों की निगरानी के लिए सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।
( विजय शंकर सिंह )
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