Monday, 5 April 2021

श्रीमंत पेशवा बाजीराव प्रथम का वंश - 1- दूसरी पीढ़ी

श्रीमंत पेशवा बाजीराव प्रथम और मस्तानी बाई साहेब के पुत्र श्रीमंत शमशेर बहादुर उर्फ श्रीमंत कृष्णराव भट।

आप सब में उत्सुकता होगी कि श्रीमंत पेशवा बाजीराव बल्लाल भट की Real bloodline के वंशजों के बारे में जानकारी मिले, सो आज से ये सिरीज़ शुरू कर रहा हूं, उनके वंशजों की तस्वीरों के साथ। इतना तो आप सब जानते ही हैं कि श्रीमंत पेशवा बाजीराव प्रथम के पिता श्रीमंत बालाजी विश्वनाथ भट थे। और उनकी पहली पत्नी  अखंड सोभाग्यवती काशी बाई साहेब से उन्हें श्रीमंत पेशवा बालाजी बाजीराव उर्फ
नाना साहब के अलावा श्रीमंत राघुनाथ राव पेशवा, ये दो पुत्र थे, लेकिन इन्हीं के एक और भाई थे, जनार्दन भट उर्फ "जानोबादादा" जिनका स्वर्गवास कुछ 5 साल की उम्र में हो गया था। दुख का विषय यह है कि इस लाइन से श्रीमंत बाजीराव पेशवा प्रथम की कोई असल रक्त का वंश नहीं बचा है।

तो आइए इनके अलावा बात करते हैं श्रीमंत पेशवा बाजीराव की दूसरी पत्नी अखंडसोभाग्यवती मस्तानी बाई साहेब से जन्मी उनकी इकलौती संतान श्रीमंत शमशेर बहादुर उर्फ कृष्णराव भट की और उनके वंशजों की। तो शमशेर बहादुर का जन्म सन 1734 में पुणे के शनिवार वाड़ा के मस्तानी महल में ही हुआ था और उस वक़्त मस्तानी बाई साहेब की देखरेख उनकी सास यानी श्रीमंत की माँ साहेब राधा बाई ने ही की थी और शिशु का जन्म (डिलीवरी) भी उन्हीं की देख-रेख में हुआ था। उनका नाम उनके पिता जी ने कृष्ण राव भट रखा था। शमशेर बहादुर उर्फ कृष्णा राव जिनकी शिक्षा और हथियारों का प्रशिक्षण श्रीमंत बाजीराव के बाकी पुत्रों के साथ हुआ जो उनकी पहली पत्नी काशीबाई जे जन्में थे। 1740 में श्रीमंत बाजीराव और मस्तानी की मृत्यु के बाद काशीबाई ने ही शमशेर बहादूर का संरक्षण किया। इस वक़्त इनकी उम्र मात्र छह साल की थी।

जब शमशेर 8 बरस के हुए तो उस वक्त के पुणे के महंत कृश्णा जी भट और दूसरे पुणे-ब्राह्मणों ने राधा बाई और श्रीमंत पेशवा नाना साहेब के दिमाग़ में एक फितूर बोया और कहा कि अगर आगे चल कर छत्रपती शाहू ने बाजीराव के इस पुत्र को पेशवा नियुक्त कर दिया तो ??? बस यही वो सवाल था , जिसके आगे कोई कुछ नहीं बोल पाया और इस षड्यंत्र का अंत ऐसे हुआ कि शमशेर बहादुर को इस्लाम धर्म क़ुबूल करवाया गया। और ये वही कृष्णाजी भट थे, जिन्होंने पेशवा बाजीराव जैसे मज़बूत शख़्स के जिंदा रहते उनके इस पुत्र का जनेऊ संस्कार नहीं होने दिया था और तो और शनिवारवाड़ा में ही मस्तानी बाई साहेब की हत्या की साज़िश भी रची थी। बाद में जब श्रीमंत बाजीराव निज़ाम से युद्ध मे घायल हुए तो यही कृष्णाजी भट थे, जिनके बहकावे में मां साहेब राधा बाई और चिमनाजी अप्पा ने मस्तानी बाई साहेब को क़ैद करवा दिया था। उस वक़्त शाहू महाराज ने मस्तानी बाई की रिहाई की त्वरित कार्यवाही हेतु सूबेदार मल्हारराव होलकर को एक आदेश लिखित में देकर शनिवारवाड़ा पुणे भेजा था। यही वजह थी कि पुणे स्थित पेशवा परिवार को छत्रपती शाहू पर भी भरोसा नहीं रह गया था। आगे चल कर शमशेर बहादुर की दो शादियां भी खुद पेशवा नाना साहब ने करवाईं और वो भी पुणे के निकट के गांवों की मुस्लिम लड़कियों से। यहीं शनिवारवाड़ा में ही शमशेर बहादुर की पहली पत्नी बेगम मेहरम बाई से उनके  इकलौते पुत्र और आगे चल कर समूचे बुंदेलखंड के मराठा सूबेदार श्रीमंत अली बहादुर प्रथम का भी जन्म हुआ। जिनकी जानकारी अगले लेख में पढ़ियेगा।

1761 में पानीपत के तृतीय युद्ध में लड़ने के लिए शमशेर बहादुर ने भी मराठा सेना का नेतृत्व किया था और वह भी पानीपत के तृतीय युद्ध में अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ लड़ने के लिए पानीपत पहुंचे थे। जहां उन्हें काफी घाव लगे थे और उन्हें उनके लोग किसी महफूज़ जगह ले गए थे। 14 जनवरी 1761 में पानीपत में मराठों की हार हुई और शमशेर बहादुर भरतपुर तक आ गए, लेकिन घाव इतने थे कि वे बच नहीं सके और शहीद हो गए, अपनी मातृभूमि की और अपने लोगों की रक्षा के लिए, अपने स्वराज के लिए। आज भी भरतपुर में उनका मज़ार है। 

नोट- फ़िल्म "बाजीराव-मस्तानी" में भंसाली ने मस्तानी बाई सा के धर्म, उनकी मां के धर्म, उनके पुत्र की पैदाइश और उनके भी धर्म के बारे जो दिखाया है, वो सरासर ग़लत है। साथ ही फ़िल्म "पानीपत" में आशुतोष गोवारिकर ने शमशेर बहादुर का जो पहनावा और हुलिया दिखाया है, वो भी ग़लत दिखाया है। ये जो तस्वीर आप इस पोस्ट में देख रहे हैं, ये उनकी असल पोट्रेट है, जो उस वक़्त के एक कलाकार ने बनाई थी, जो पुणे के पेशवाओं के म्युज़ियम में आज भी महफूज़ है।

नूह आलम
( Nooh Alam )

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