खबर है कि आज फिर दिल्ली के जिला अदालतों में वकील साहबान हड़ताल पर हैं। दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत को छोड़ कर अन्य सभी जिला अदालतों में काम बंद है। बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया के प्रमुख ने कहा था, कि वे दोषी वकीलों के खिलाफ कार्यवाही करने जा रहे हैं। अभी वे कार्यवाही करने गए कि नहीं यह पता नहीं।
डीसीपी मोनिका से वकीलों द्वारा की गयी गम्भीर अभद्रता और छेड़छाड़ के मामले में आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अगर एक आईपीएस अफसर के प्रति मारपीट पर विभाग की यह चुप्पी है तो अधीनस्थ कर्मचारियों की पीड़ा के बारे में क्या कहा जाय। इस घटना के संबंध में, रोज कोई न कोई नया वीडियो सोशल मीडिया पर आ रहा है। महिला आयोग ने भी मोनिका के खिलाफ अभद्रता और छेड़छाड़ पर वकीलो के विरुद्ध कार्यवाही करने की बात की है।
न्यायिक जांच की कार्यवाही की कोई खबर नहीं है। दिल्ली पुलिस को चाहिये कि वह सभी घटनाओं की एफआईआर दर्ज करे। यह एफआईआर अलग अलग मामलों की हो। सभी वीडियो क्लिपिंग कब्जे में ले और अलग से एक एसआईटी बना कर इसकी जांच करे या क्राइम सेल को यह जांच दे दे।
वकीलो की अराजकता से सुप्रीम कोर्ट भी अवगत है और जिला न्यायालय के न्यायिक अधिकारी तो इनकी उद्दंडता का सामना करते ही हैं। वकीलों को एक बड़े और मजबूत दबाव ग्रुप होने का एक कारण यह भी है देर सबेर इनसे समझौता हो जाता है और फिर यह सब चीजें भुला दी जाती हैं। वकीलों पर कानून तोड़ने की कोई सज़ा होती भी नहीं है। इससे यह समुदाय खुद को किसी भी दंड से ऊपर समझ बैठता है।
पुलिस के भी जो कर्मचारी दोषी हों उनके खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही तो हो ही, विभागीय कार्यवाही भी हो। यह किसी अनपढ़ और कानून न जानने वाले जमातों का झगड़ा नहीं है। बल्कि कानून की बारीकी समझने वाले उन दो महत्वपूर्ण समाज का विवाद है जो उन्ही बारीकियों से खुद को कानूनी शिकंजे से बचा लेने का हुनर जानते हैं।
© विजय शंकर सिंह
11/11/19.
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