Sunday, 10 January 2021

शब्दवेध (63) लघुता से महिमा तक-2

क्षुद्र - क्षुद्रमिव स्रवेत्- उदकमिव स्रवेत।  क्षुद्र का अर्थ ही जल है। जल के ऐसे कण हो सकते हैं जो सूक्ष्मतम हों, जैसे वाष्पकण, ओसकण। इनकी ध्वनि का अवश्य इस शब्द से कोई लेना-देना नहीं। क्षु चू, सू संकुल की ध्वनि है, जिसका अरथ जल है और द्र - तर, दर, त्र, द्र संकुल का जिनका अर्थ पानी होता है। यह यौगिक शब्द है। जैसे द्र से द्राक्षा का नामकरण हुआ उसी तरह क्षु से क्षुधा और छुहारा का। ऋग्वेद में -क्षुमतो राय ईशिषे; क्षुमन्तं वाजं स्वपत्यं रयिं दाः ; क्षुमन्तं चित्रं ग्राभं सं गृभाय; क्षुमन्तं वाजं शतिनं सहस्रिणं मक्षू गोमन्तमीमहे;   
 
सूक्ष्म -  सुक/ सुख(सुखना झील) - पानी, सूख - तृप्तिजन्य आनंद, (E. suck, succulent, succumb, succus - juice; success, succeed, such - like) शुक्र - जल (वीर्य, सार;  एक चमकदार ग्रह, असाधारण ज्ञानी - शुक्राचार्य), >अ, शुक्र/शुक्रिया, शुक्रगुजार (अरबी रूपावली से अनमेल इसलिए बाहरी),   शोक/ शोचिष (फा. सोज़, सूजन ) , शुचि - पवित्र (यत्ते शुक्रं तन्वो रोचते शुचि), प्रकाशित, सूचना, सूची (सूचक > विषय सूची), सूची -  प्रखर, तेज (पैना/पैनी), छेदक, सिलाई का उपस्कर; सीव्यत्वपः सूच्याच्छिद्यमानया )   सूची> सूच्य >सूक्ष्म 

विराट -  ०वी -जल, वीति -अन्न,   वीतिहोत्र - वर्षा के लिए किया जाने वाता यज्ञ (वीतिहोत्रं त्वा कवे द्युमन्तं समिधीमहि). E. weep, vapour, wend -to turn, to turn to the opposit; wel)l.  वय - जल, अन्न (त्रिधातुशृङगो वृषभो वयोधाः )   वि- आकाश, शाखा, पक्षी,  विराज - वि-राज<   रज - पानी, प्रकाश, शुभ्रता (रजत/ रजक)  > राज/राट/राड.    

अधि/ अधिक - अत पर विचार करते समय हम देख चुके हैं कि अत/अद/अध/ अन्न संकुल में सभी का अर्थ जल है  अध = अ-ध,  यहाँ या ०वहाँ,  अधि- 1. भीतर (अधि मातरि - मातृ जठरे); 2- अधिक (अधि पञ्च प्रधीँरिव); 3. पक्षपात (तेनादित्या अधि वोचता ); 4. 0- अधिदधे- धारयति, अधि - ऊपर (इन्द्र एणं प्रथमो अध्यतिष्ठत्) 
अधिथा - धारयसि; 

अलं - पर्याप्त, अर- जल, अर्य - पूज्य। अरंकृत - 1. तैयार ,  2. मिश्रित. 3. सज्जित(अरं कृण्वन्तु वेदिं; दूतो अरंकृतः)। अरं/अलं -  पर्याप्तं (सास्मा अरं प्रथमं स द्वितीयम्) ; 

अल्प - अर्प - जल, अर्च/ अर्प - पानी. अर्पण/ अर्चन - पानी पिलाना, आव-भगत (उन्नो वीराँ अर्पय भेषजेभिः)र  - संयोजय,  जिस रेचन से अतिरेक और अतिरिक्त बना है उसी से रिक्त भी उसकी परिणति है।  कुछ वैसा ही संबंध अर्पण और अल्प का दिखाई देता है।

भूरि - पू/फू/बू/भू - जल ;  पू>पूरित/पूर्ण;   फू> भो. फूर-सच,E. fulminate - to thunder, to flash, L. fulgere - to shine, full, fill  बू >बुल्ला> हिं. बुलबुला,   E. bull, bully, bullion (L. bullio, onis, a boiling), bulge, bulk, bulimia- morbid voracity,भू (भूरि त इन्द्र वीर्यं तव) ।

शब्द संकलन का काम संतोषजनक नहीं हो पाया। जो याद आए उन्हें रखा है, पर जितने शब्द और लें, सब की व्याख्या इसी से संभव है।

भगवान सिंह
( Bhagwan Singh )

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