दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की कद्दावर नेता शीला दीक्षित से मेरी रूबरू एक बार मुलाक़ात रही है वह भी एक विवाह समारोह में। वह विवाह समारोह चंचल भाई chanchal bhu की पुत्री का सन 1994 में दिल्ली में आयोजित हुआ था। उंस आयोजन में मैं भी आमंत्रित था। उसी विवाह समारोह में शीला जी, माखनलाल फोतेदार, प्रख्यात फ़िल्म अभिनेता राजेश खन्ना और समाजवादी नेता तथा सांसद मोहन सिंह भी थे। मैं इन महानुभाव में से मोहन सिंह जी से घनिष्ठ था। एक तो उनसे कुछ रिश्तेदारी थी और दूसरे हम और वे साथ ही देवरिया से उक्त विवाह समारोह में भाग लेने आये थे।
शीला जी से यह एक परिचयात्मक भेंट थी। पर उनके पति विनोद दीक्षित जी जो एक आईएएस अधिकारी थे, से मेरी अच्छी मुलाकात रही है। यह मुलाकातें, क्रिकेट के टेस्ट मैच देखने जब वे ग्रीन पार्क कानपुर आये थे तब की हैं। मेरे कार्यकाल में हर साल टेस्ट और वन डे मैच होता था और मैं हर बार खिलाड़ी सुरक्षा में ही नियुक्त होता था। तब भी में खिलाड़ी सुरक्षा में ही था और विनोद जी वहीं प्लेयर्स पैवेलियन में आकर बैठ जाते थे।
विनोद दीक्षित जी का भी आकस्मिक निधन हुआ था। वे कानपुर आये थे। मैं यही पर सीओ कलक्टरगंज था। 12 जनवरी 88 की रात थी, वे उन्नाव से अपने पिता स्व उमाशंकर दीक्षित जो कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री थे, और तब जीवित थे, के जन्म समारोह, अपने पैतृक गांव ऊगू जिला उन्नाव में मना कर वापस दिल्ली जा रहे थे। प्रयागराज एक्सप्रेस से उनका रिज़र्वेशन था। मैं उन्हें विदा करने के लिये उनके साथ ही जहां वे रुके थे, स्टेशन आया । ट्रेन आयी तो ऐसी फर्स्ट के कूपे में उन्हें छोड़ा । उन्होंने मुस्कुरा कर तब हांथ मिलाया और फिर मैं उतर गया। सुबह दिल्ली से खबर मिली कि वे ट्रेन के शौचालय में मृत पाये गये। उन्हें हृदयाघात हुआ था।
आज शीला दीक्षित जी के निधन की सूचना मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से मिली, तो यह सब याद आया। शीला जी 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रही हैं और दिल्ली शहर का उनके समय मे विकास भी बहुत हुआ है। लेकिन 2015 के आम चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस और वे खुद भी चुनाव हार गयी। लेकिन राजनीति में उनकी सक्रियता अंत तक बनी रही।
दिवंगत शीला जी को विनम्र श्रद्धांजलि और सादर नमन !
© विजय शंकर सिंह
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