संवैधानिक संस्थाओं ने चाहे वे कितने भी ऊपर और अधिकार सम्पन्न हों, अपने ऊपर, नियम, कायदा और कानून के बजाय सत्तारूढ़ राजनीतिक दल का अधिकार स्वीकार कर लिया है। अब एक ताज़ा उदाहरण सिक्किम से। सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तवांग जो भाजपा के सहयोग से सरकार चला रहे हैं, पर भ्रष्टाचार का एक मुक़दमा चल रहा था। अदालत ने आरोप सही पाये और उन्हें सजा मिली। इससे उन्हें नियमानुसार 6 वर्ष के लिये चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य घोषित हो गए।
चुनाव आयोग ने निर्वाचन कानून के तहत सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की अयोग्यता अवधि रविवार को करीब पांच साल घटा दी जिससे उनका राज्य में होने वाले उपचुनाव में लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। चुनाव आयोग ने तमांग को अयोग्य करार देते हुए छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। यह रोक 10 अगस्त 2018 को जेल की सजा पूरी होने के साथ शुरू हुई थी और यह 10 अगस्त 2024 तक प्रभावी रहती लेकिन चुनाव आयोग ने रविवार को इसे घटा कर एक साल एक महीने कर दिया।
इस फैसले के साथ ही 10 सितंबर को उनकी अयोग्यता अवधि समाप्त हो गई और अब वह चुनाव लड़ सकते हैं। तमांग की सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी ने अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी और 27 मई को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन अयोग्यता के कारण चुनाव नहीं लड़ सके। इस पद पर रहने के लिए शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानसभा सदस्य बनना आवश्यक है।
अगर कोई भाजपा या उसके सहयोगी दल में है, और भाजपा नेतृत्व के लिये उपयोगी हैं तो उसके खिलाफ कोई भी जांच नहीं होगी और अगर किसी कारण से उसे सजा मिल भी गयी तो संवैधानिक संस्थाएं जो अब जी जहाँपनाह मोड में आ गयी हैं उन्हें राहत ही देंगी।
© विजय शंकर सिंह
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