अदनान सामी को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनके योगदान के प्रति हम कृतज्ञ है। अब यह न पूछियेगा कि कौन सा योगदान । सरकार ने दिया है तो सोच समझ कर ही दिया होगा। जिन्हें योगदान जानने की अभिलाषा है वे सूचना के अधिकार का उपयोग कर सकते हैं। ऐसे गोपन योगदानी को सम्मानित करने पर सरकार का साधुवाद।
एक तथ्य यह ज़रूर पता लगा है कि 1965 के भारत पाक युद्ध मे अदनान के पिता अरशद पाकिस्तान की फौज में थे और पाकिस्तानी सेना के अनुसार,
"फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान ने भारत के खिलाफ 1965 की जंग में शत्रु (भारत) का एक लड़ाकू विमान, 15 टैंक और 12 वाहनों को नष्ट किया. वे रणभूमि में विपरीत हालतों के बावजूद शत्रु की सेना का बहादुरी से मुकाबला करते रहे. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान को उनकी बहादुरी के लिए सितारा-ए-जुर्रत से नवाजा जाता है "
पिता को पाकिस्तान ने सम्मानित किया और पुत्र को हमने।
आज जब पाकिस्तान के लेखकों साहित्यकारों, संगीतकारो, गायकों, और क्रिकेटरों के साहित्य, संगीत, गीत, और खेल, जो साझी विरासत और इतिहास से उपजे और विकसित हुए हैं को, पढ़ना सुनना और देखना देशद्रोही की तासीर समझ ली जा रही है वहीं देश के खिलाफ खुली जंग में भाग लेने वाले एक व्यक्ति के बेटे को, सरकार द्वारा सम्मानित करना अचंभित करता है।
यह भी एक प्रकार का खोखलापन है कि हम इकबाल, फ़ैज़, मंटो, हबीब जालिब, आदि को पढ़, और नुसरत फतेह अली खान, आबिदा परवीन आदि को सुन नहीं सकते हैं क्योंकि वह एक दुश्मन मुल्क के हैं, और सरकार अपनी मर्ज़ी से जिसे चाहें, भले ही उसका कोई योगदान न हो, पद्मश्री से सम्मानित कर सकती हैं !
© विजय शंकर सिंह
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