हिन्दूमहासभा के नेता कमलेश तिवारी की हत्या दुःखद और निंदनीय। मैं कमलेश तिवारी को थोड़ा बहुत जानता था। वे अक्सर अपने साम्प्रदायिक कट्टरपंथी विचारों के कारण विवादित भी रहे। मैं उनके विचारधारा से कत्तई सहमत नहीं हूं, पर उनकी हत्या को निंदनीय और कायराना हरकत मानता हूं ।
समाज मे अगर हिंसक घृणा का माहौल जानबूझकर बनाया जाता रहेगा, तो उसका खामियाजा उनको भी भुगतना पड़ेगा, जो इस हिंसक और साम्प्रदायिक कट्टरपंथी विचारधारा के पोषक है। गांधी का यह कथन याद कीजिए, अगर आंख के बदले आंख लेने की हिंसक मनोवृत्ति बनी रही तो, पूरा समाज एक दिन विकलांग हो जाएगा।
कमलेश तिवारी के दफ्तर मे एक चित्र टँगा है जो गांधी के हत्यारे गोडसे का है। उसके नीचे लिखा है मैंने गांधी को क्यों मारा। यह किताब गोडसे के जघन्य कृत्य को औचित्यपूर्ण ठहराने के लिए अक्सर उसके समर्थक उद्धृत करते हैं। जिनका बौध्दिक दर्शन ही हिंसा और घृणा की पैरवी करता है वे यह नहीं जानते कि वे भी कभी इसके शिकार हो सकते हैं।
लखनऊ पुलिस के लिये दिनदहाड़े हुआ यह जघन्य कृत्य एक बड़ी चुनौती है। मुल्ज़िम पकड़े जांय, उनके खिलाफ सुबूत जुटाए जांय और अदालत में उन्हें पेश किया जाय और सज़ा दिलाई जाय, यह सबसे अधिक ज़रूरी है। किसी भी महानगर में दिनदहाड़े होने वाली घटना के बाद पुलिस तुरन्त आलोचना और भर्त्सना के केंद्र में आ जाती है।
© विजय शंकर सिंह
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