Monday, 14 October 2019

2019 के अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार अभिजीत बैनर्जी को मिला है / विजय शंकर सिंह

अभिजीत एमआईटी में प्रोफेसर हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय #जेएनयू के छात्र रह चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस के लिये  2019 के चुनाव में NYAY न्याय योजना की रूपरेखा तैयार की थी। अर्थशास्त्र में उन्हें यह पुरस्कार, गरीबी उन्मूलन के लिये किये गए शोध पर मिला है।

भारतीय मूल के अमेरिकी अभिजीत बनर्जी को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र में यह सम्मान फ्रांस की एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ साझा तौर से दिया गया है. ये पुरस्कार 'वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन' के लिए किए गए काम के लिए गया. एस्थर डुफ्लो अभिजीत बनर्जी की पत्नी हैं।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक बयान में कहा गया है कि “इकोनामिक साइंस लौरिएटों द्वारा 2019 में संचालित शोध ने वैश्विक गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में बेहतर सुधार किया है। केवल दो दशकों में नये प्रयोग पर आधारित तरीके ने विकासवादी अर्थशास्त्र को बिल्कुल बदल कर रख दिया है। यह अब शोध का सबसे उर्बर क्षेत्र बन गया है।”

तीनों अर्थशास्त्रियों के इस प्रयोग से भारत के तकरीबन 50 लाख बच्चों को लाभ हुआ है। ये सभी बच्चे स्कूल में इस कार्यक्रम के हिस्से थे।

इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि उसकी 2015 में बनर्जी और डूफ्लो से बात हुई थी जिसमें उन्होंने सोशल सेक्टर की योजना संबंधी अपने प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया था। उन्होंने नरेगा को जरूरतमंद को चिन्हित करने में बेहद नकारा और आरटीई योजना को स्कूलों में सीखने के लिहाज से स्तरीय नहीं होने की बात कही थी।

विकीपीडिया में दिए गए उनके परिचय के मुताबिक अभिजीत 21 फरवरी 1961 को भारत के धुले में पैदा हुए थे। उन्होंने 1981 में कोलकाता के प्रेसीडेंसी कालेज से अपनी बीएससी की। उसके बाद उन्होंने जेएनयू से इकोनामिक्स में एमए किया। 58 वर्षीय अभिजीत फिर इकोनामिक्स में पीएचडी के लिए वह 1988 में हार्वर्ड चले गए। अभिजीत के पिता दीपक बनर्जी भी इकोनामिक्स के प्रोफेसर थे। बाद में वह प्रेसीडेंसी कालेज में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष बने।

अभिजीत बैनर्जी को इस अत्यंत प्रतिष्ठित सम्मान से पुरस्कृत होने के लिये उन्हें बहुत बहुत बधाई।

© विजय शंकर सिंह

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