Friday, 20 March 2015

World Sparrow day and a poem / Cheekh / विश्व गौरैय्या दिवस और एक कविता , चीख…/ विजय शंकर सिंह

20 मार्च को गौरैय्या दिवस मनाया जाता है। पूरे विश्व में , गौरैय्या जो घरों में फुदकने वाली सबसे लोकप्रिय छोटी चिड़िया है , को बचाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया और फ्रांस की इको सिस्टम एक्शन फाउंडेशन तथा अन्य कई देश और विदेश की संस्थाओं के पहल पर यह दिवस गौरय्या और पर्यावरण संरक्षण के लिए मनाया जाता है।  नेचर फॉरएवर सोसाइटी के मुहम्मद दिलावर ने इस प्रजाति के संवर्धन और संरक्षण हेतु अपना अभियान नासिक से प्रारम्भ किया। 2008 में उन्हें इस कार्य के लिए हीरो ऑफ़ एनवॉयरनमेंट का सम्मान टाइम पत्रिका द्वारा दिया गया। वहीं एक अनौपचारिक विचार विमर्श में , विश्व गौरैय्या दिवस मनाने की योजना बनी। यह निश्चय किया गया कि , यह दिवस गौरैय्या सहित अनेक घरेलू पक्षियों के संवर्धन और संरक्षण हेतु जागरूकता अभियान चलाएगा। इसी विचार विमर्श के बाद 2010 में प्रथम बार विश्व गौरैय्या दिवस मनाया गया। आज के ही दिन पहली बार इस सम्बन्ध में कला प्रदर्शनी , जुलूस , और अन्य जागरूकता अभियान चलाये गए।


विश्व गौरैय्या दिवस 20 मार्च के अवसर पर 2011 में अहमदाबाद में प्रथम गौरैय्या पुरस्कारों की घोषणा की गयी थी। डी सी शाश्वत , जो सस्टेनेन्स मैगज़ीन के प्रधान संपादक द्वारा यह पुरस्कार विजेताओं को प्रदान किया गया था।

2014 में यह पुरस्कार जग मोहन गर्ग और एक अन्य संस्था को पुरस्कृत किया गया था। 
2013 में  सलीम हमीदी , वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर , आबिद सुरती , लेखक , और ड्राप डेड एन जी के प्रमुख और जयंत गोविन्द दुखाण्डे , मुंबई पुलिस के एक अधिकारी को मिला था
2012 में , दिलशेर खान , रमिता कोंडेपूडि , विक्रम एंडी , किरण जाधव , महेंद्र खावणेकर और विशाल रेवणकर , और महात्मा गांधी आश्रम शाला को दिया गया। 
2011 में यह पुरस्कार , नरेंद्र सिंह चौधरी , और एल श्यामल को दिया गया।




एक कविता ,
चीख

जंगल के कोलाहल में ,
हर तरफ हंगामा है ,
चीख रही है
एक नन्ही गौरैय्या !

गिद्धों के हुज़ूम में ,
गुम है ,
उस गौरैय्या की चीख,
नक्कार खाने में तूती की तरह,
आओ चलो ढूंढें ,  ,
स्वर दें उसे !!,

गिद्ध तो भीड़ जुटा ही लेंगे ,
पर ,वह नन्ही गौरैय्या ,
न जाने किस कोटर में बैठी ,
अपनी चीख से ही ,
अन्याय के विरुद्ध मुखर है !!!
-vss.

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