Tuesday, 10 September 2019

स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार का मामला / विजय शंकर सिंह

उत्तरप्रदेश सरकार शाहजहांपुर बलात्कार मामले में वह गलती न करे जो उसने उन्नाव बलात्कार   मामले में किया है। आज उन्नाव बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट का सीधे दखल है, एक तय सीमा में सेशन कोर्ट को अभियुक्त कुलदीप सिंह सेंगर तथा अन्य के खिलाफ मुक़दमे का ट्रायल खत्म करना है और इससे जुड़े अन्य मामलों में भी सीबीआई तेजी से कार्यवाही कर रही है। उन्नाव मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी किरकिरी हुयी है।

यही गलती सरकार ने स्वामी चिन्मयानंद के मामले में करने जा रही है। पहले यह चर्चा थी कि सरकार इस यौन शोषण मामले में चिन्मयानंद पर से मुक़दमा वापस लेगी। पर ऐसा नहीं हुआ। लेकिन इनके खिलाफ शिकायतों पर कोई विशेष कार्यवाही नहीं की गयी। अब जब पीड़िता सुप्रीम कोर्ट गयी तो अदालत के आदेश पर सरकार ने एक एसआईटी गठित की, जो इस मामले की विवेचना कर रही है। इस मुक़दमे से जुड़े खबरों पर भले ही मीडिया में चुप्पी हो, पर सोशल मीडिया मुखर है और अब अपनी प्रसारण क्षमता, विविधिता और तकनीकी प्रसार के कारण सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण सकारात्मक दबाव ग्रुप बन गया है।

स्वामी चिन्मयानंद पर लगे आरोपों के संबंध में, जो कुछ भी सोशल मीडिया पर फैल रहा है, वह अब सच हो या गलत, लेकिन इसने सरकार को असहज ज़रूर कर दिया है। ऐसे मामलों में, मीडिया ट्रायल उचित है या अनुचित, यह बहस का विषय है । मीडिया ट्रायल भी सापेक्ष होता है। जिसे जो ट्रायल सूट करता है वह उसे अच्छा कहता है, जो उसे असहज करता है वह उसे अनैतिक कहता है। यह मामला राजनीतिक मोड़ भी लेगा क्योंकि स्वामी चिन्मयानंद, खुद भी एक राजनैतिक व्यक्ति हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 सितंबर तक प्रगत
स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध बलात्कार के मामले में, 23 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की विशेष खंडपीठ ने यूपी पुलिस की एसआईटी से शपथपत्र के माध्यम से अब तक की विवेचना की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। यह खंडपीठ सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस महत्वपूर्ण मामले में मॉनिटरिंग के संदर्भ में किये गए एक आदेश द्वारा गठित की गयी है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति मनोज मिश्र व न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की एक  खंडपीठ गठित है।

इस खंडपीठ ने मामले का संज्ञान लेकर जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) को 23 सितंबर को शपथ पत्र के माध्यम से विवेचना की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश की प्रति सीजेएम के माध्यम से पीड़िता के परिवारीजन को भेजने का भी निर्देश दिया है, जिससे वह अदालत में अपनी सुरक्षा व विवेचना के संदर्भ में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करके अपना पक्ष रख सकें।

जनचौक की खबर के अनुसार, हाईकोर्ट के प्रगति रिपोर्ट मांगने के बाद स्पेशल जांच टीम (एसआईटी) की जाँच में तेजी आ गयी है। एसआईटी ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम के हॉस्टल को खंगाला। पीड़ित परिवार की मौजूदगी में उस कमरे को खोला गया,जहां पीड़िता रहती थी। इसके साथ ही उस कमरे को खोला गया, जहां पर लड़की ने स्वामी चिन्मयानंद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

एसआईटी ने पीड़ित छात्रा के कमरे से उसकी मौजूदगी में साक्ष्यों का संकलन किया। पीड़िता ने दावा किया है कि कमरा नंबर-102 में स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ सभी साक्ष्य मौजूद हैं। छात्रा ने बताया था कि हॉस्टल के कमरे में स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ सभी सबूत सुरक्षित हैं। इस कमरे को शुरू में ही छात्रा की मां ने सील करने की मांग की थी। दो दिन के बाद मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस ने उस कमरे को सील किया था।

अगर कोई सामान्य व्यक्ति इस तरह के दुराचार में फंसा होता तो, कोई भी बहुत ध्यान नहीं देता। पर यह मामला  साधु संत से जुड़ा है। सत्तारूढ़ दल के एक नेता से जुड़ा है तो खबरें बनेंगी ही। सन्यास के बाद जब ऐश्वर्य, राज सुख की ओर कदम बढ़ते हैं तो बहकते भी बहुत जल्दी हैं। क्योंकि मन मे संत और साधु होने का जो अभिमान अवचेतन में कहीं पैठा होता है वह आंखों को धुंधला कर देता है। आसाराम, राम रहीम, राम लाल, नित्यानंद जैसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने एसआईटी गठित की है। दिल्ली में मुक़दमा दर्ज कर इसे शाहजहांपुर भेजा जा चुका है। पीड़िता टीवी पर अपना पक्ष प्रस्तुत कर रही है। अब यह एसआईटी की जिम्मेदारी है कि वह तफ्तीश में आगे बढ़े, और सरकार उसे अपना काम करने दे, और सुबूतों तथा तथ्यों के आधार पर विवेचक को निष्कर्ष पर पहुंचने दिया जाय। इस एसआईटी के मुखिया एक काबिल और अच्छे आईपीएस अफसर हैं। वे निश्चित ही जो सच होगा, उसका अनुसंधान कर सकेंगे।

© विजय शंकर सिंह

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