तक्षशिला में विभिन्न स्थानों का भ्रमण ~
संग्रहालय से निकलने के बाद हम विभिन्न बुद्धिस्ट स्टूप जैसे, धर्मराजिका, भल्लर और कुणाल का भ्रमण करते हुए सरकैप की ओर गए। यहां पर तक्षशिला में विभिन्न शासन काल में निर्मित भवन व महल आदि के अवशेष देखने को मिले। यहां मध्य में एक चौड़ा सा रास्ता है जिसके दोनों और लगभग 3 फुट ऊंची और 3 फीट चौड़ी पत्थर की चिनाई की दीवारें बनी हुई हैं जो कभी कमरे रहे होंगे। देखने से प्रतीत होता है कि सुनियोजित ढंग से शहर बसाने के लिए घर बनाए गए होंगे। कमरों का आकार थोड़ा छोटा है।तक्षशिला का शब्दार्थ है, ' city of cut stone'. पाकिस्तान पुरातत्व विभाग से संबंधित एक कर्मचारी वहां उपस्थित थे जिनसे हमने इन अवशेष के बारे में बताने का अनुरोध किया।
उन्होंने बताया कि तक्षशिला मैं खुदाई का कार्य उस समय भारतीय पुरातत्व के पिता कहलाए जाने वाले सर अलेक्जेंडर कमिंघम के द्वारा 1863- 64 और फिर 1872- 73 में कराया गया, परंतु कार्य पूर्ण नहीं हुआ। इसके पश्चात सर जॉन हरबर्ट मार्शल ने 1913 से 1934 तक इसकी खुदाई का कार्य पूर्ण कराया जिसके फल स्वरुप भीर माउंड, सरकैप के महल, मोहरा मोरादू और जूलियन मठ के अवशेष प्राप्त हुए। जनादियल मंदिर और पीपला मंदिर के अतिरिक्त बड़े और छोटे अन्य मंदिरों के अवशेष भी मिले। इसके अतिरिक्त धर्मराजिका, भल्लर और कुणाल स्तूप के अवशेष प्राप्त हुए।
उन्होंने आगे बताया कि ईसा मसीह से 520 वर्ष पूर्व यहां पारसी राजा थे। ईसा मसीह से 320 वर्ष पूर्व सिकंदर-ए-आज़म (अलेक्ज़ेंडर द ग्रेट) ने तक्षशिला के राजा आम्भी पर हमला किया जिनका राज्य सिंधु नदी से झेलम नदी तक था और उसने तक्षशिला को अपनी राजधानी बना लिया। झेलम नदी से चिनाब नदी तक पोरस का शासन था। सिकंदर और पोरस के युद्ध में पोरस हार गया था और वहां पर भी सिकंदर का शासन हो गया था।
ईसा मसीह से 297 वर्ष पूर्व चंद्रगुप्त मौर्य का शासन था जो 25 वर्षों तक रहा। चंद्रगुप्त मौर्य के बाद बिंदुसार और फिर अशोका द ग्रेट का शासन रहा। कालिंग के युद्ध में लगभग एक लाख व्यक्ति मारे गये थे और डेड़ लाख व्यक्ति बंदी बनाए गए थे जिसके पश्चात अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था। ईसा मसीह से 90 वर्ष पूर्व तक्षशिला के अंतिम ग्रीक राजा को मऊ द्वारा पराजित किया गया। इस प्रकार तक्षशिला विभिन्न समय में विभिन्न राजाओं के शासन में रहा जिसकी पुष्टि वहां उपलब्ध अवशेष देखने से भी होती है जो मुख्यतः तीन प्रकार के हैं और हिंदू, ग्रीक वह बुद्धिस्ट आर्किटेक्चर व सभ्यता को दर्शाते हैं।
थोड़ा आगे बढ़े तो बायीं ओर एक बड़ा चबूतरा दिखाई दिया जिसकी दीवारों पर मूर्तियां बनी हुई थी। संभवतः यह मंदिर का अवशेष था। आगे जाकर छोटी-छोटी पहाड़ियां हैं जिन पर भी इसी प्रकार की पत्थरों की चिनाई की लगभग 3 फुट ऊंची दीवारें दिखाई दे रही थी। इनके बारे में बताया गया कि यह अशोक का महल था। पहाड़ी पर होने के कारण हम वहाँ नहीं गए। कर्मचारी के द्वारा यह भी बताया गया कि माइथोलॉजी के अनुसार कुछ का मानना है कि श्री राम के भाई श्री भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर इस स्थान का नाम तक्षशिला हुआ तथा उस समय यहाँ उनका राज्य था। उन्होंने यह भी बताया कि तक्षशिला को 1980 में यूनेस्को विश्व हेरिटेज स्थल घोषित किया गया तथा 2010 में लंदन की मैगजीन 'द गार्जियन' के द्वारा तक्षशिला को पाकिस्तान के पर्यटक स्थलों में उच्चतम स्थान दिया गया है।
(जारी)
मंजर ज़ैदी
© Manjar Zaidi
भारत के वह ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं (8)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/07/8_12.html
#vss
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