प्रजा अब शक्तिशाली हो रही थी, राजाओं की उल्टी गिनती शुरू हो गयी थी।
सत्रहवीं सदी में ही इंग्लैंड में रक्तहीन गौरवशाली क्रांति हुई, राजा जेम्स द्वितीय को गद्दी छोड़नी पड़ी। स्टुअर्ट वंश का अंत हुआ। अमरीका में हुए स्वतंत्रता संग्राम ने ब्रिटेन और फ्रांस के राजाओं का कद घट दिया। जब फ्रांस में क्रांति हुई, और प्रजा ने राजा का गला काट दिया, उसके बाद तो राजा की क्या पूछ रह गयी?
कुछ खेमे थे जो राजा को अब भी ईश्वर का दूत मानते थे, वे इंग्लैंड में जैकबाइट कहलाते थे। लेकिन, सतह पर इतना ही हासिल हुआ कि राजा को एक पुराने जमाने की निशानी की तरह सजा कर रख दिया गया। निरंकुश राजतंत्र के स्थान पर संवैधानिक और बाद में लोकतांत्रिक राजतंत्र स्थापित होने लगे। राजा सिर्फ़ साल में एक-दो बार अपने महल की मुंडेर से हाथ हिलाने लगे, उनका राज-काज में हस्तक्षेप घटता गया।
रूस की महारानी कैथरीन की मृत्यु के बाद उनके पुत्र पॉल गद्दी पर आए। वह अपनी माँ से नफ़रत करने लगे थे, जिसकी कई वजहें थी। वह उन्हें अपने पिता पीटर का हत्यारा मानते थे। बचपन में जबरदस्ती स्मॉल-पॉक्स की बीमारी कराना भी उन्हें चुभा था। सबसे ज़िल्लत की बात तो यह थी कि उन्हें यह पता लग गया था कि वह अपने पिता पीटर के संतान ही नहीं, अपनी माँ के किसी प्रेमी की पैदाइश हैं। यह बात वह खुल कर नहीं कह सकते थे, क्योंकि उनकी गद्दी छिन जाती।
पॉल ने गद्दी सँभालते ही ऐसे अध्यादेश बनाए कि भविष्य में कोई कैथरीन रूस की गद्दी पर न बैठ सके। उन्होंने यह कानून बना दिया कि रूस की गद्दी पर सिर्फ़ पुरुष ही बैठेगा।
उन्हें मालूम था कि उनकी माँ के पुराने सिपहसलार उनके रास्ते का काँटा बनेंगे। उन्होंने पहले तो अपनी सेना को नेपोलियन से युद्ध करने भेजा। उस समय नेपोलियन इटली में विजय हासिल करने के बाद मिस्र की तरफ़ बढ़ रहे थे। उन्होंने क्रांति के बाद बिखरते फ्रांस में नयी ऊर्जा डाल दी था। रूस और इंग्लैंड की सेना साथ लड़ रही थी, शुरुआती जीतों के बाद उन्हें भागना पड़ा। नेपोलियन एक अजेय योद्धा की तरह विजय दर्ज करते जा रहे थे।
इस युद्ध के बाद ज़ार पॉल को यह लगने लगा कि उनके ख़िलाफ़ कुछ षडयंत्र चल रहा है। कुलीन वर्ग और फौजियों में उनके प्रति रोष है। पॉल ने इसके लिए बात-चीत के बजाय अपने आस-पास दीवारें खड़ी करनी शुरू कर दी। उन्होंने एक अभेद्य किला तैयार किया, जो एक नहर से घिरी थी। उन्हें लगता था कि वहाँ वह सुरक्षित रहेंगे।
11 मार्च, 1801 की रात को कुछ कुलीन वर्ग के लोग बैठ शराब पी रहे थे। जब शराब का नशा चढ़ा तो उन्होंने निर्णय लिया कि अब इन ज़ार पॉल की छुट्टी की जाए। वे उसी वक्त राजा के अभेद्य महल को भेदने चल दिए, और बड़ी बेतकल्लुफ़ी से महल में घुस गए। उनको यूँ आधी रात अपने सामने देख कर पॉल डर गए, और किसी बिस्तर के नीचे जाकर छुप गए। उनके पुत्र अलेक्सांद्र (अलेक्ज़ेंडर) कोने में खड़े किसी अनहोनी का इंतज़ार कर रहे थे। उन्हें इस षडयंत्र का पता था, मगर यूँ हालात होंगे यह नहीं सोचा था।
रूस के राजा को बिस्तर के नीचे से घसीट कर निकाला गया, और राजकुमार के सामने उनका गला घोंट दिया गया। अगली सुबह जनता को बताया गया कि ज़ार पॉल चल बसे, अब अलेक्सांद्र नए ज़ार हैं।
राजाओं का अब यही भविष्य था, वे अब चुने हुए लोगों की कठपुतली बन कर ही रहने वाले थे। जब चाहा, जिसे चाहा, हटा दिया। जिसे चाहा, गद्दी पर बिठा दिया।
(क्रमशः)
प्रवीण झा
© Praveen Jha
रूस का इतिहास (16)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/10/16.html
#vss
No comments:
Post a Comment