वाइकिंग ईसाई बन गए। वही वाइकिंग जिन्होंने बारंबार इंग्लैंड को हराया, गिरजाघरों से पादरियों को उठा कर समुद्र में फेंका। वे वाइकिंग जो यूरोप के सबसे शक्तिशाली समुदायों में थे। जिनका पूरे उत्तर यूरोप पर राज था। आखिर ऐसी कौन सी जादू की छड़ी चली, कि वे ईसाई बन गए? दंड से या भेद से? साम से या दाम से? युद्ध से या संधि से?
इस इतिहास को समझना इसलिए भी ज़रूरी है कि यह पूरे यूरोप ही नहीं, दुनिया के इतिहास के लिए एक ‘गेम चेंजर’ थी। जैसे धर्म की छड़ी से किसी मतवाले हाथी को काबू में किया गया हो। रूस जैसे देश को बिना किसी युद्ध के एक झटके में ईसाई बना देना, और नॉर्वे-स्वीडन में ईसाई झंडा फहराना लगभग एक ही क्रम में हुआ।
नॉर्वे-स्वीडन का क़िस्सा तो नही लिखूँगा, मगर रूस की कथा का कुछ फ़िल्मी रुपांतरण करता हूँ।
रूस के राजा व्लादिमीर के दरबार में किसी गुप्तचर ने सूचना दी, “महाराज! कुस्तुंतुनिया के महल में एक शाही जामुनी कक्ष (पर्पल चैंबर) है। वहाँ विश्व की सबसे ख़ूबसूरत राजकुमारी एन्ना रहती हैं। उनके दीदार करने की चाहत हर आदमी की है, मगर यह नसीब किसी को नहीं।”
राजकुमारी के खयालों में राजा व्लादिमीर की नींद उड़ने लगी। कुछ ही महीनों बाद द्नाइपर नदी से गुजरते रूसी जहाज लूट-पाट मचाते हुए बैजंटाइन साम्राज्य पर आक्रमण कर रहे थे। बैजंटाइन नगर एक-एक कर गिर रहे थे। काला सागर के किनारे क्रीमिया क्षेत्र में बैजंटाइन राजा बेसिल द्वितीय उनके पास संधि-प्रस्ताव लेकर पहुँचे।
व्लादिमीर ने कहा, “मैं यह क्षेत्र छोड़ कर जाने को तैयार हूँ। आप पर अगर अरब आक्रमण करता है, तो मैं रक्षा भी करुँगा। लेकिन, मेरी एक शर्त है। आप अपनी बहन राजकुमारी एन्ना का विवाह मेरे साथ करा दें।”
“यह तो मेरी ख़ुशनसीबी होगी। लेकिन, मेरी बहन एन्ना किसी भी ग़ैर-ईसाई से विवाह नहीं करना चाहती।”
“यह कोई मसला नहीं। मेरी दादी महारानी ओल्गा ईसाई बनने को तैयार थी। मेरे पास मुसलमान बनने का भी प्रस्ताव आया था, मगर उसमें शर्त थी कि शराब छोड़नी होगी। हम रूसी शराब के बिना नहीं जी सकते। आपके धर्म की क्या रीत है?”
“आप हमारी राजधानी में हागिया सोफ़िया गिरजाघर आएँ और स्वयं अपनी आँखों से देख लें। वह स्थान पृथ्वी और स्वर्ग के मध्य स्थित है।”
“अवश्य आऊँगा। अगर आपके धर्म ने मुझे प्रभावित किया, तो मैं यह वचन देता हूँ कि इसी द्नाइपर नदी के किनारे अपने समस्त नागरिकों के साथ ईसाई बन जाऊँगा। फिर तो आप अपनी बहन का हाथ दे देंगे?”
“अगर आप ईसाई बन गए, तो मेरी बहन को कोई आपत्ति नहीं होगी। मुझे विश्वास है कि यह विवाह हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बदल देगी।”
अगर देखें तो कितनी साधारण घटना है। एक राजा को एक राजकुमारी से आसक्ति हुई, और उन्होंने अपना धर्म बदल लिया। वीर व्लादिमीर महान अब संत व्लादिमीर बन गए थे, और हागिया सोफ़िया की तर्ज़ पर सोफ़िया गिरजाघर बना रहे थे। उनके बारह पुत्र ईसाई प्रचारक बन कर चारों दिशा में निकल पड़े थे। यह कोई छोटा-मोटा राज्य नहीं था, जो ईसाई बन गया। बाल्टिक से प्रशांत महासागर तक हज़ारों किलोमीटर तक फैला दुनिया का सबसे बड़ा ईसाई देश बनने जा रहा था।
हालाँकि सदियों बाद इस धर्म के बुलबुले का अंत विस्फोटक हुआ, जब एक शाही धर्मगुरु के सर में गोली मार दी गयी!
(क्रमशः)
प्रवीण झा
© Praveen Jha
रूस का इतिहास (2)
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