जब आदमी जंगल में शिकार करते घूमते थे, उस समय भी शायद कोई भगवान मानते हों। सूरज को, चाँद को, पेड़-पौधे को, या पशुओं को। यूरोप में नियंडरथल मिले, तो उनके शवों के साथ कुछ पशु दफनाए मिले। वे मानते थे कि आदमी के पास मरने के बाद भी खाने-पीने की व्यवस्था रहे। उसी तरह मध्य प्रदेश में एक आठ हज़ार वर्ष पुरानी त्रिकोणाकार आकृति मिली। हो सकता है उनके भगवान हों।
जंगल में भगवान की उतनी जरूरत थी नहीं। जब खेती-बाड़ी शुरू हुई, फिर कभी बारिश होती, कभी सूखा पड़ता। उन्हें लगने लगा कि यह कोई भगवान कर रहे हैं। उन्होंने धरती, आकाश, बरसात, सूर्य को भगवान मान लिया। वे खुश रहेंगे तो खाना मिलेगा। इसी तरह अपने राजा को भी भगवान मानने लगे, और पत्थर पर उनकी तस्वीरें बनाने लगे। इस तरह आदमी ने लिखना शुरू किया, तस्वीरों से। यह मिस्र (इजिप्ट) में कहलाता है- हीरोग्लिफिक्स यानी चित्र बना-बना कर लिखना।
वहाँ के सूर्य भगवान कहलाए ‘रा’। आकाश के भगवान कहलाए ‘होरस’। होरस के पिता ‘ओसिरिस’ मृत्यु का फैसला करते थे। उनकी पत्नी का नाम था ‘इसीस’। इसी तरह हर जगह अपने-अपने भगवान के सेट बनने शुरू हुए।
मिस्र के लोग पत्थर पर लिखते थे, जो बहुत भारी होते। सोचिए, अगर आपकी किताब के बदले दस बड़े पत्थर रख दिए जाएँ, और वही लेकर स्कूल जाना पड़े? मगर उस समय कागज तो था नहीं, क्या करते?
सुमेर के लोगों को एक बेहतर आइडिया आया। वह दो नदियों (टिगरिस और यूफ्रेटस) के पास रहते थे, तो उनके पास गीली मिट्टी बहुत थी। वह उसके स्लेट बनाने लगे। उस गीली मिट्टी पर वह एक पतली तीली लेकर आकृति बनाने लगे। जब वह मिट्टी सूख जाती, उसे जमा कर लेते। यह पत्थर के मुकाबले हल्की थी, और इसमें चित्रों में रेखाएँ खूब होती। यह कहलाई ‘क्यूनिफॉर्म’ लिपि।
जैसे मिस्र में राजा हुए नारमेर। सुमेर में राजा बने सारगोन। उन्होंने भी सब छोटे-मोटे सरदारों को हरा दिया, और बड़ा राज्य बना लिया। वे भी भगवान बन गए।
जब ये राजा भगवान बनने लगे, तो मनमानी करने लगे। कोई कानून तो था नहीं। फिर एक राजा को लगा कि कुछ कानून बनाना चाहिए। उनका नाम था हम्मूराबी।
( क्रमशः)
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What was the capital of King Sargon of Mesopotamia?
A. Babylon
B. Baghdad
C. Akkad
D. Mohenjodaro
प्रवीण झा
© Praveen Jha
स्कूली इतिहास (12)
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