Monday, 10 May 2021

पाकिस्तान का इतिहास - अध्याय - 25.


 [भुट्टो और कथित डबल-एजेंट हाशिम कुरैशी गंगा विमान के बाहर]

यह युद्ध रहस्यमय था। जैसे एक लंबी योजना चल रही हो।इसे सफ़ेद-काले या अच्छे-बुरे रूप में देखना कठिन है। यह कुछ-कुछ ‘रिजरवॉयर डॉग्स’ फ़िल्म की तरह था, जिसमें हर खिलाड़ी एक-दूसरे से कुछ छुपा रहा था। कई बातें आज तक किसी को नहीं मालूम। एक उदाहरण देता हूँ।

श्रीलंका में वामपंथी (चे गुवैरावादी) गुरिल्ला सरकार के खिलाफ़ युद्ध लड़ रहे थे। वहाँ की राष्ट्राध्यक्ष सीरीमावो भंडारनायके ने जब मदद माँगी, तो इंदिरा गांधी ने सहयोगी सेना भेजी। भारतीय जवान वहाँ के हवाई अड्डे की निगरानी कर रहे थे। उसी हवाई अड्डे पर भारत से युद्ध के लिए पाकिस्तानी विमान भी उतर रहे थे, और तेल भरा रहे थे। कमाल है न? पाकिस्तानी सेना विमानों की सुरक्षा करती भारतीय सेना? एक सीधा फ़ायदा तो यही था कि हर विमान की जानकारी भारतीय सेना गुप्तचरों को पहले ही हो जाती। लेकिन, मूल प्रश्न तो यह है कि आखिर पाकिस्तानी विमान कोलंबो के रास्ते आ क्यों रहे थे? 

युद्ध के पहले भी यही हाल था। याह्या ख़ान को कोलंबो के रास्ते ही ढाका जाना होता। भारत के ऊपर से आसान और छोटा रास्ता होने के बावजूद। जबकि भारत ने शिकागो कंवेंशन पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके अनुसार वह पाकिस्तान के यात्री विमानों को अकारण नहीं रोक सकता था। फिर भारत पालन क्यों नहीं कर रहा था? 

30 जनवरी 1971 को श्रीनगर से जम्मू जा रहा इंडियन एयरलाइंस का हवाई जहाज ‘गंगा’ हाइजैक कर लिया जाता है। यह हाइजैक एक मामूली खिलौना पिस्तौल से किया जाता है। हाशिम और अशरफ़ कुरैशी नामक दो भाई हाइजैक कर लाहौर ले जाते हैं। वहाँ पाकिस्तानी सेना घेर लेती है। भारत से छत्तीस उग्रवादियों की रिहाई की माँग की जाती है, जो भारत ठुकरा देता है। सभी पच्चीस यात्री छोड़ दिए जाते हैं। गंगा विमान को वहीं जला दिया जाता है। ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो स्वयं आकर कुरैशी बंधु से मिलते हैं। 

क्या लगता है? 

अंदाज़ा ठीक ही है कि ये जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के उग्रवादी थे। पाकिस्तान की मदद से इन्होंने हाइजैक कराया। बात नहीं बनी, तो सबूत यानी विमान उड़ा दिया गया। भारत से संबंध बनाए रखने के लिए, और यूँ भी अधिकांश यात्रियों के कश्मीरी होने की वजह से छोड़ दिया गया। पाकिस्तान बुरा हो गया, भारत अच्छा। 

अब इसके उलट सोचिए। जाँच में मालूम पड़ा कि यह कुरैशी एक डबल-एजेंट था, जो भारत और पाकिस्तान दोनों की गुप्तचरी करता था। वह भारत के सीमा सुरक्षा बल में कार्यरत भी रहा था, और अक्सर सीमा पार से खबर इधर-उधर करता। उसे कश्मीरी अलगाववादी नेता मकबूल बट्ट का निकट व्यक्ति भी कहा जाता है।

अगला खुलासा यह कि ये विमान बेकार हो चुका था, और इसकी सेवाएँ बंद कर दी गयी थी। यह मात्र इस यात्रा के लिए वापस लाया गया। क्यों? और विमान जला क्यों दिया गया?

आखिरी खुलासा जो हाल में हुआ कि इस विमान पर भारतीय गुप्तचर एजेंसी ‘रॉ’ के एक व्यक्ति मौजूद थे!

इस हाइजैक के बाद भारत को यह छूट मिल गयी कि पाकिस्तान के किसी विमान को उसके हवाई क्षेत्र से नहीं गुजरने दिया जाए। इस कारण पाकिस्तान पूरे वर्ष अपने हथियार आदि पूर्वी पाकिस्तान ठीक से नहीं पहुँचा सका। जनवरी में यह विमान-बंदी हुई, और दिसंबर में युद्ध। इतने महीने दोनों क्षेत्रों को जैसे एक-दूसरे से काट दिया गया। यहाँ तक कि श्रीलंका को भी कह दिया गया कि सिर्फ यात्री विमान ही हवाई अड्डे पर आएँ। नज़र रखने के लिए भारतीय सेना के जवान वहाँ थे ही।

हाइजैक करने वाले हाशिम कुरैशी लंबा समय पाकिस्तान जेल में बिता कर भारत लौटे। अब जम्मू-कश्मीर के डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी के अध्यक्ष हैं। सूट-बूट में कश्मीर मुद्दों पर वार्ता करते रहते हैं। फ़ेसबुक-ट्विटर पर सक्रिय हैं। 

पाकिस्तान का इल्जाम है कि यह पूरा हाइजैक भारत की योजना थी। यह रहस्य तो पक्के तौर पर एक ही व्यक्ति जानते थे जिनकी मृत्यु के दो दशक हो गए। इस युद्ध को उनके बिना नहीं देखा जा सकता।

वह थे- रामेश्वर नाथ काव
(क्रमश:)

प्रवीण झा
(Praveen Jha)

पाकिस्तान का इतिहास - अध्याय - 24.
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/05/24.html
#vss 

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