Thursday, 15 April 2021

पाकिस्तान का इतिहास - अध्याय - 1.

दरबार-ए-वतन में जब इक दिन सब जाने वाले जाएँगे 
कुछ अपनी सज़ा को पहुँचेंगे, कुछ अपनी जज़ा ले जाएँगे 
- फ़ैज अहमद फ़ैज

16 अक्तूबर, 1951. कंपनी बाग़, रावलपिंडी

लियाक़त अली ख़ान उस दिन जब एक लाख की भीड़ को संबोधित करने मंच पर जा रहे थे, तो उन्हें अपने सामने पूरा देश दिख रहा था। वह स्वप्न जो उन्होंने, मोहम्मद अली जिन्ना, सुहरावर्दी, अल्लामा इकबाल और तमाम लोगों ने साथ देखा था। ब्रिटिश भारत के मुसलमानों के लिए एक पाकिस्तान की।

● यह पाकिस्तान शब्द जन्मा कैसे?

भारत में मुसलमान हज़ार वर्षों से रह रहे थे, लेकिन यह शब्द उनकी जबान पर नहीं आया। ख़िलाफ़त के समय भी अगर मुस्लिम दुनिया की बात चली, तो भी पाकिस्तान शब्द नहीं उभरा। 1933 में लंदन में बैठे एक युवक चौधरी रहमत अली के मन में यह Pakstan शब्द पहली बार आया। शायद इससे एक पाक (पवित्र) स्थान का बोध होता हो? मगर यह ऊर्दू और संस्कृत शब्दों की संधि कैसे हो गयी? 

रहमत अली ने भी ‘पवित्र स्थान’ नहीं सोचा था। उनके अनुसार यह एक एक्रोनिम था। P से पंजाब, A से अफ़गान (खैबर-पख्तून), K से कश्मीर, S से सिंध और Stan से बलूचिस्तान। बाद में लोगों को लगा कि बोलने के लिए एक बीच में ‘I’ घुसेड़ना जरूरी है, तो बना Pakistan। लेकिन बंगाल का क्या? उसके लिए तो अक्षर ही नहीं। रहमत अली ने कहा था कि बंगस्तान (बंगाल) और ओस्मानिस्तान (हैदराबाद) दो अन्य मुसलमान देश बन जाएँगे।

मुस्लिम लीग ने इस शब्द को तो अपना लिया मगर रहमत अली को ख़ास तवज्जो नहीं दी। बाद में जब विभाजन के बाद वह बोरिया-बिस्तर लेकर नए पाकिस्तान में लौटे तो नाराज़ हो गए कि मेरा मॉडल नहीं अपनाया गया। गुस्से में उन्होंने कायद-ए-आजम को ‘क्विसलिंग-ए-आजम’ कह दिया। (क्विसलिंग एक नॉर्वे के गद्दार थे जो नाजियों से मिल गए थे। बाद में यह शब्द लियाक़त अली ख़ान ने शेख़ अब्दुल्ला के लिए प्रयोग किया।)

ज़ाहिर है रहमत अली का सारा बोरिया-बिस्तर छीन कर, उनको देशनिकाला दे दिया गया। वह लंदन में ही कुछ साल बाद मर गए। जिन्होंने पाकिस्तान शब्द दिया, उनका तो यह हश्र हुआ। कायद-ए-आजम रोगग्रस्त होकर भी यथासंभव प्रशासन की ज़िम्मेदारी अपने कंधे पर उठाते रहे। मगर 1948 में ही उनकी मृत्यु हो गयी।

लियाक़त अली ख़ान अब पाकिस्तान के सर्वेसर्वा थे। ऐसे पाकिस्तान के, जहाँ का पंजाब विभाजन के बाद दो खंडों में बँट चुका था, पख़्तून और बलूच अपनी स्वतंत्रता चाह रहे थे। बंगालियों को उन पर थोपी गयी राजभाषा ऊर्दू से कोई सरोकार था नहीं। और कश्मीर? जिस तरह नेहरू पर कश्मीर गंवाने का आरोप भारत में लगता रहा, लियाक़त अली ख़ान पर यह आरोप पाकिस्तान में हमेशा लगता रहेगा।

उस दिन कंपनी बाग में उनके सामने बैठे एक व्यक्ति ने उनकी छाती में दो गोलियाँ दाग दी। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री का अंत कुछ यूँ सर-ए-आम हुआ।

भला एक देश के संस्थापक की हत्या उसके देशवासी क्यों करना चाहेंगे? हाँ! कश्मीर गंवाने की नाखुशी अवाम में ज़रूर थी। 

कुछ ही महीनों पहले इसी रावलपिंडी में एक षडयंत्र हुआ, जहाँ तख्तापलट की साजिश हुई थी। सभी षड्यंत्रकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिनमें शामिल थे मेजर जनरल अकबर ख़ान, उनके कुछ अन्य फौजी सहयोगी, पाकिस्तान कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सय्यद सज्जाद ज़हीर, और......म़शहूर शायर फ़ैज अहमद फ़ैज।

(क्रमश:)
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प्रवीण झा
( Praveen Jha )

पाकिस्तान का इतिहास  - भूमिका 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/04/1_14.html
#vss

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