Friday, 6 September 2019

आईएएस अफसरों के त्यागपत्र / विजय शंकर सिंह

देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के मुद्दे पर युवा और ऊर्जावान आईएएस अफसरों का त्यागपत्र आसानी से नज़रअंदाज़ की जाने वाली चीज नहीं है। हाल ही में देश की सर्वाधिक अधिकार सम्पन्न और प्रतिष्ठित समझी जाने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा को कोई यूंही नही छोड़ता है। पर हाल के कुछ इस्तीफों ने यह सवाल और प्रासंगिक बना दिया है कि आखिर युवा और आंखों में कुछ बदलने, और समाज तथा सेवा मे कुछ बेहतर करने के सपने  लिये ये युवा इस सेवा को अलविदा क्यों कह रहे हैं ?

आज एक और आईएएस अफसर ने मौलिक अधिकारों के प्रतिबंध के सवाल पर अपना त्यागपत्र दे दिया है। एस शशिकांत सेंथिल नामक यह युवा अधिकारी, 2009 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर हैं। वे दक्षिण कन्नड़ जिले के डिप्टी कमिश्नर ( कलेक्टर और जिला मैजिस्ट्रेट ) है।  उन्होंने आईएएस की सेवा से आज त्यागपत्र दे दिया है।

अपने इस्तीफे के सम्बंध में सरकार को जो नोट उन्होंने भेजा है उसमें यह लिखा है कि,
" एक सिविल सर्वेंट के लिये जब बहुलतावादी जनतंत्र के मूल सिद्धांतों से समझौता किया जा रहा हो तो सिविल सेवा में बने रहना अनैतिक है। "

" It was “unethical” on his part to continue as civil servant when “fundamental building blocks of diverse democracy are being compromised”.

आगे वे कहते हैं,
" The coming days would present extremely difficult challenges in the basic fabric of the Nation. As such it would be better to be outside IAS to continue his work. "

" आने वाले दिन देश के मूल ताने बाने के लिये बेहद कठिन परिस्थितियों वाले होंगे। इससे यह बेहतर है कि आईएएस की सेवा से बाहर रह कर कुछ काम किया जाय। "

शशिकांत सेंथिल ने 2017 में दक्षिण कन्नड़ ज़िले में डिप्टी कमिश्नर के पद का पदभार ग्रहण किया था, इस अवधि में वे जिले के सबसे कारगर और सक्रिय कलेक्टरों में उनकी गणना की जाती है।

चालीस वर्षीय सेंथिल, तमिलनाडु के मूल निवासी हैं और एक इंजीनियरिंग स्नातक हैं। उन्होंने रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज त्रिचनापल्ली से प्रथम श्रेणी में बीई की डिग्री ली है। दक्षिण कन्नड़ के डीसी पद पर नियुक्त होने के पहले, यह एसडीएम बेल्लारी, सीईओ जिला पंचायत शिवमोग्गा, डीसी, चित्रदुर्ग और डीसी रायचूर रह चुके हैं।

इसी साल अगस्त महीने में एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथ के बाद यह दूसरे आईएएस अफसर हैं जिन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दिया है। इसके पहले आईएएस के अपने बैच के टॉपर शाह फैसल भी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।

कन्नन और सेंथिल के इस्तीफों में जो कारण दिये गए हैं वे कारण व्यक्तिगत नहीं है और न ही सेवा सम्बंधित किन्ही कठिनाईयों या सरकार के दखल या उनके निजी उत्पीड़न से सम्बंधित हैं। ये कारण एक बड़े फलक पर अपनी बात कहते हैं। वह फलक है भारत की अवधारणा का। भारत की अवधारणा से तात्पर्य भारतीय संविधान, बहुलतावादी सभ्यता, संस्कृति बहुधार्मिक समाज और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था की एक समृद्ध और अनवरत विरासत की अजस्र धारा। यही विरासत ही अल्लामा इक़बाल के शब्दों में ' कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ' है। निश्चित रूप से एक बदलाव यह संवेदनशील जमात महसूस कर रही है। यह बदलाव अपने आसपास हम सब महसूस कर रहे हैं। पर संवेदनाओं का यह अपार स्तर ही उन्हें उद्वेलित कर गया। उनके ये इस्तीफे देश के बदलते कलेवर के विरुद्ध,  एक खामोश पर असरदार प्रतिक्रिया तो नहीं हैं ?

विक्रम सिंह चौहान ने एक विचारोत्तेजक टिप्पणी अपने फेसबुक टाइमलाइन पर की है जिसे पढा जाना चाहिये। उनके अनुसार,

" जिंदा लोगों की पहचान हो रही है।शाह फैसल और कन्नन गोपीनाथ के बाद अब तीसरे आईएएस ने भी देश में लोकतंत्र और संवैधानिक ढांचे को खतरा बता आईएएस से इस्तीफा दे दिया है।कर्नाटक के एक आईएएस (IAS) एस शशिकांत सेंथिल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देते हुए कहा है कि लोकतंत्र में ऐसे कुछ अनैतिक कार्य हो रहे हैं, जिसको देखने के बाद वह इस पद पर रहना उचित नहीं समझते हैं।उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में मूलभूत अधिकारों को दबाया जा रहा है ।मुझे यह भी दृढ़ता से महसूस होता है कि आने वाले दिनों में हमारे देश के बुनियादी ताने-बाने के सामने बेहद कठिन चुनौतियां पेश आने वाली हैं।40 वर्षीय सेंथिल 2009 बैच के ऑफिसर हैं।वे तमिलनाडु के रहने वाले हैं।उनकी कार्यशैली और ईमानदारी की राज्य में काफी तारीफ होती रहती है। फिलहाल वे सीसीडी के मालिक वीजी सिद्धार्थ के आत्महत्या मामले की छानबीन कर रहे थे। बीजेपी की सरकार बनने के बाद कहा जा रहा है उन पर गलत काम करने दबाब बनाया जा रहा था।लेकिन इस अधिकारी ने समझौता करने से इंकार कर दिया। एक तरफ ये चंद युवा  आईएएस हैं जो देश को एक तानाशाह के पदचाप के बारे में संकेत दे रहे हैं।दूसरी तरफ हज़ारों और आईएएस हैं जो बाबू बनकर सरकार की जी हुजूरी में लगे हुए हैं।वहीं करोड़ो युवा हैं जो आंख बंद कर सोए हुए हैं।उनका जीना भी मरने से बदतर है।तमस के इस दौर  में शाह फैसल,कन्नन गोपीनाथ और शशिकांत जैसे आईएएस रोशनी की किरण है। "

© विजय शंकर सिंह

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