Wednesday, 4 September 2019

एक चुनावी नारा, हिटलर का / विजय शंकर सिंह

1933 के जर्मनी के आम चुनाव में हिटलर ने जर्मनी की जनता से वादा किया था,

" आप सब मुझे पांच साल दीजिये और आप दुबारा जर्मनी को पहचान नहीं पाएंगे।"

"Gebt mir funf jahre und ihr werdet Deutschland nicht wieder erkennen"

Give me five years and you will not recognize Germany again.

हिटलर ने पांच साल मांगे थे, ( हालांकि एक स्थान पर दस साल का समय मांगने का उल्लेख है), पर मांगी गयी अवधि खत्म होते होते यूरोप में विश्वयुद्ध के बादल मंडराने लगे और 1939 में दूसरा विश्वयुद्ध छिड़ गया। साल 1945 के आधा बीतते ही जर्मनी तहस नहस हो गया। हिटलर ने मेज के नीचे छुप कर आत्महत्या कर ली। उसके साथी मित्रदेशो की सेना और पुलिस द्वारा, ढूंढ ढूंढ कर पकड़े गए। उनपर मुक़दमा चला। अधिकांश को फांसी दी गयी जो बचे उन्हें आजीवन कैद की सज़ा हुयी। तानाशाही, अहंकार, जनता पर भेदभाव भरे अत्याचार, और भावुकता भरे प्रलाप करने वाले नेता और उनके साथियों का क्या हस्र होता है यह न्यूरेम्बर्ग ट्रायल के इतिहास और घटनाओं को पढ़ कर जाना जा सकता है।

जिस जर्मनी के आत्मसम्मान को जो उसके अनुसार प्रथम विश्वयुद्ध में धूलि धूसरित हो गया था को वापस लाने के वादे और जिस आर्य नस्ल के श्रेष्ठतावाद और गौरव के बल पर वह जर्मनी का सबसे लोकप्रिय नायक बना उसी जर्मनी को विजयी मित्र राष्ट्रों के विजेता देशों ने दो टुकड़े कर दिए। लंबे समय तक जर्मनी अलग अलग दो मुल्क़ों में बंटा रहा। एक देश, सांझा इतिहास, सांझी परंपराएं, और सांझी विरासत के बावजूद , जब देश का नेतृत्व बौना और अहंकारी हो जाता है तो उसे जर्मनी जैसी ही त्रासदी झेलनी पड़ती है।

हिटलर ने 1933 के चुनाव में सच कहा था,
" आप सब मुझे पांच साल दीजिये, आप दुबारा जर्मनी को पहचान नहीं पाएंगे। "
सचमुच जिन्होंने हिटलर के वादे पर यकीन कर के उसे पांच साल दिये, वे दुबारा उस जर्मनी को पहचान नहीं पाए।

© विजय शंकर सिंह

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