जम्मू और कश्मीर को अमेरिकी दस्तावेज़ में Indian Administered Jammu and Kashmir कहना अनुचित है और सरकार को इस वाक्य को सुधार कर Indian Administered अंश हटाने के लिए प्रयास करना चाहिए । हाल ही में मोदी ट्रम्प वार्ता की दो बड़ी उपलब्धियाँ बतायी जा रही हैं । एक भारत और अमेरिका में आतंकवाद जिसे ट्रम्प ने इस्लामिक आतंकवाद कहा , से मुकाबले के लिये एक जुट रहना, और दूसरे ड्रोन का खरीदना ।
ड्रोन के बेचने में अमेरिका की भी रूचि थी । यह एक व्यापार है । हमें ज़रूरत थी, उसे बेचना था , हमने पैसा दिया और ड्रोन खरीद लिया । अमेरिका से सारे दुनिया भर के मुल्क हथियार खरीदते रहते हैं । हम भी वक़्त ज़रूरत खरीदते रहते हैं । हमारे पड़ोसी भी कुछ ऐसे हैं कि हथियार खरीदना हमारी ज़रूरत कम और मज़बूरी अधिक होती है ।
आतंकवाद पर अमेरिका का साथ एक उपलब्धि है । हालांकि यह इस्लामिक आतंकवाद अमेरिका द्वारा पोषित और पालित है । चाहे तालिबान हो, या आईएसआईएस यह सभी कभी न कभी अमेरिका द्वारा पाले पोसे गए हैं । जम्मू कश्मीर का ही रहने वाला हिज्ब उल मुजाहिदीन आतंकी गुट के सरगना सलाहुद्दीन को अमेरिका ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया है । वह ऐसा है भी । आतंकी घोषित करने से उसके संगठन को आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी और वह खुले आम अपनी गतिविधियाँ नहीं चला पायेगा । उस पर कुछ न कुछ नियंत्रण रहेगा । हालांकि ऐसे आतंकी संगठन नाम बदल कर किसी न किसी एनजीओ के अंतर्गत धन आदि की व्यवस्था करते रहते हैं । वह धन आतंक फ़ैलाने के काम में आता है । हाफ़िज़ सईद का लश्कर ए तोइबा जब प्रतिबंधित हुआ था तो उसने जमात उद दावा के नाम से एक नया संगठन खड़ा कर लिया और उसी के माध्यम से वह अपनी आतंकी गतिविधियाँ चलाने लगा । असल बात है इन संगठनों पर पाकिस्तान कितनी गंभीरता से प्रतिबन्ध लगाता है । पाक सेना और आईएसआई इन सारे आतंकी समूहों की ट्रेनर है और घुसपैठ तथा आतंकी गतिविधियों के लिए रणनीतिक और लॉजिस्टिक सुविधा देती है , उसका क्या रुख इन संघटनों के बारे में रहेगा ? अमेरिका ने क्या पाकिस्तान को भी इन पर प्रतिबंध लगाने और प्रतिबंध न लगाने की दशा में पाक को अमेरिकी मदद न देने क बात भी कही है या नहीं , यह ज्ञात नहीं है । जब तक अमेरिका पाकिस्तान पर कड़ाई से इन आतंकी संगठनों पर रोक के लिये दबाव और आर्थिक मदद नहीं रोकेगा तब तक ऐसी घोषणाओं का कोई विशेष लाभ नहीं होगा । हाँ यह मनोवैज्ञानिक दबाव ज़रूर डालेगा ।
अब ज़रा यह अमेरिकी सरकार का बयान पढ़ें -
The statement describing Salahuddin’s terror activities over the years reads, “Mohammad Yusuf Shah, AKA Syed Salahuddin, is the senior leader of the militant group Hizbul Mujahideen (HM). In September 2016, Salahuddin vowed to block any peaceful resolution to the Kashmir conflict, threatened to train more Kashmiri suicide bombers, and vowed to turn the Kashmir valley ‘into a graveyard for Indian forces.’ Under Salahuddin’s tenure as senior HM leader, HM has claimed responsibility for several attacks, including the April 2014 explosives attack in Indian-administered Jammu and Kashmir, which injured 17 people.”
इस बयान में एक भूल है जो या तो जान बूझ कर हो गयी है या लापरवाही के कारण है । इस बयान में जम्मू कश्मीर को indian administered कहा गया है । यह वाक्य हमारे मूल स्टैंड कि जम्मू कश्मीर , जिसमे पाक अधिकृत भूभाग POK भी है हमारा अभिन्न अंग है , से अलग है । हमारा मूल उद्देश्य भी POK से पाकिस्तान को हटाना ही है । इस गलती का परिष्कार आवश्यक है । कूटनीतिक दस्तावेज़ यूँही नहीं ड्राफ्ट किये जाते हैं । एक एक शब्द पर मंथन होता है और विभिन्न पर्यायवाचियों में से वही शब्द चुने जाते हैं जो सरकार का इरादा और दस्तावेज़ का उद्देश्य प्रतिविम्बित करते हैं । कई स्तरों पर इन ड्राफ्टों का परीक्षण होता है , तब ये जारी किये जाते हैं । यह वाक्य आपत्तिजनक है और इसे हटा कर केवल जम्मू कश्मीर ही लिखा जाना चाहिए ।
( विजय शंकर सिंह )