अर्थक्रान्ति प्रतिष्ठान , पुणे के अनिल बोकिल , जिन्होनें प्रधानमंत्री को विमुद्रीकरण की सलाह दी थी ने, आज बताया कि उनकी सलाह कुछ ही विन्दुओं पर मानी गयीं जिस से अब यह समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं । जुलाई में जब अनिल बोकिल की प्रधानमंत्री जी से मुलाकात हुयी थी तो उन्होंने विमुद्रीकरण के साथ साथ निम्न कदमों के भी उठाने की भी सलाह दी थी । उनका कहना है,
" However, the government chose to use only two of them. It was a sudden move, not well-thought-out. The move cannot be welcomed or rejected. We are compelled to accept it. "
उन्होंने जो सुझाव दिये थे वह इस प्रकार है
1: Complete abolition of taxes, direct and indirect by the Central or State governments and also the local bodies.
( सभी करों, प्रत्यक्ष , अप्रत्यक्ष चाहे वे केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या स्थानीय निकायों द्वारा लगाए गए हों को समाप्त किया जाय। )
2: The taxes were to be replaced with Bank Transaction Tax (BTT), wherein every inward bank transaction would attract a levy (say about two per cent). It would be a single point tax deducted at source. – The deducted amount would go into the government kitties at various levels (Centre, State and Local, broken up in perhaps a ratio of 0.7 per cent, 0.6 per cent and 0.35 per cent, respectively). The concerned bank will also get a share of say another 0.35 per cent. Of course, the BTT rate would be decided by the finance ministry and Reserve Bank of India.
( समस्त कर समाप्त कर के बैंक ट्रांजेक्शन कर BTT को लागू किया जाय । प्रत्येक बीटीटी पर, एक अधिभार ( जैसे मान लीजिये 2 % ) लगाया जाय । इसे श्रोत पर ही वसूल लिया जाय और यह राजस्व केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों को 0.7 % , 0.6 % , और 0.35 % के अनुपात से हो सकता है । जिस बैंक में यह ट्रांजेक्शन हो रहा है उसे भी 0.35 % का लाभ मिलेगा । यह एक उदाहरण है । कर राशि वित्त मंत्रालय और आरबीआई ही तय करे ।
3: Cash transactions (withdrawals) would not attract tax.
( निकासी पर कोई भी कर नही होगा )
4: All high denomination currency (anything above Rs 50) should be withdrawn.
( ₹ 50 से अधिक के सारे नोट वापस ले लिए जाएंगे ।
5: Government should create legal provision to restrict cash transactions to Rs 2,000.
( ₹ 2000 से अधिक की धनराशि पर नकदी लेनदेन वैधानिक रूप से प्रतिबंधित कर दी जाय ।
बोकिल के अनुसार अगर इन सभी सुझाओं पर एक साथ अमल किया गया होता तो ऐसी अराजक समस्या नहीं आतीं। इस से आम जनता को लाभ ही होता । अनिल बोकिल आगे कहते हैं,
" We did not expect the death we are witnessing. But the government announced the operation without using anaesthesia, so patients are bound to lose their lives."
अर्थक्रान्ति , जिस संस्थान से वे जुड़े हुए हैं वह सन् 2000 में स्थापित हुआ था और वह काले धन की समस्या पर पिछले 16 साल से अध्ययन कर रहा है । जिस टेक्नीकल कमेटी का गठन इस अध्ययन हेतु किया गया था वह भी 16 सदस्यीय थी । बोकिल का कहना है कि अगर उनकी सलाह पूरी तरह मानी गयी होती तो, एक भी व्यक्ति जो काले धन के पचड़े में नहीं है , परेशान नहीं रहता । सारा अध्ययन ही केवल काले धन के विनाश पर केंद्रित था । इस से न केवल महंगाई रुकती बल्कि इसका असर जीडीपी पर भी सार्थक रूप से पड़ता । अब उन्होंने नए 2000 ₹ के नए नोटों को भी वापस लेने की सलाह दी है ।
अर्थक्रान्ति ने अर्थशास्त्र और उसकी पेचीदगियों के बारे में कितना गहन अध्ययन किया है और उसने दुनिया भर में विमुद्रीकरण से हुयी परेशानियों और लाभ तथा इसका काले धन पर पड़े प्रभावों की कितनी पड़ताल की है यह तो मैं नहीं बता पाउँगा, पर उसके सुझाव पर किये गए आधे अधूरे ढंग की तैयारी के साथ लागू किये गए विमुद्रीकरण के निर्णय ने देश को विकट स्थिति में डाल दिया है । सामान्य सी समझ करती है कि अगर धारक से चालू मुद्रा के 84 % भाग को दिए जाने का वचन वापस ले लिया जाता है तो 16 % की मुद्रा उसे कैसे पूरा कर पाएगी ? अर्थक्रान्ति को इस जटिल प्रश्न का भी समाधान खोजना चाहिए था । प्रधानमंत्री कोई विशेषज्ञ नहीं होता है और वह न सर्वज्ञ होता है । वह उन समस्याओं की पहचान करता है और फिर उनके सार्थक समाधान हेतु विशेषज्ञों की राय लेता है । इस फैसले की सबसे बड़ी कमी इससे उत्पन्न होने वाली जो श्रृंखला बद्ध क्रियाएँ हो सकतीं है उन पर न तो ध्यान दिया गया और न ही गम्भीरता से सोचा गया । 16 साल पहले गठित संस्थान की 16 सदस्यीय तकनीकी कमेटी की संस्तुति जो 16 साल बाद , मिली और 2016 में ही लागू की गयी यह महज एक संयोग है या अंकशास्त्र की कोई गणित , इस पर भी मैं सोच रहा हूँ और आप भी सोचियेगा ।
( विजय शंकर सिंह )